लीजिए साहब, कैलिफोर्निया की एक स्टार्ट अप कम्पनी ने लोगों के समग्र जीवनानंत
अनुभव को नया आकार देने का बीड़ा
उठाया है. बैटर प्लेस फॉरेस्ट्स नामक इस कम्पनी ने दावा किया है कि वह जीवन के अंत
के सम्पूर्ण अनुभव को पूरी तरह बदल देगी. अभी तक तो होता यह रहा है कि जैसे ही कोई
व्यक्ति आखिरी सांस लेता है उसके परिजन
पारम्परिक विधि से उसके अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट जाते हैं. विभिन्न समाजों
में इन अंतिम संस्कारों के रूप अलग-अलग
हैं. मसलन कहीं देह को सुपुर्दे ख़ाक किया
जाता है तो कहीं उसे अग्नि को समर्पित किया जाता है. पश्चिम में जहां ईसाई धर्म के
मानने वाले अधिक हैं, सामान्यत: शव को ताबूत में रखकर पृथ्वी को समर्पित कर दिया जाता
है.
अमरीका जैसे हर चीज़ में
व्यावसायिक सम्भावनाएं तलाश कर लेने वाले समाज में मृत्यु को भी एक बड़े उद्यम और
व्यवसाय के रूप में स्थापित कर लिया गया है. और जब जीवन में सब कुछ पर महंगाई की
मार पड़ रही है तो भला मौत पर उसका असर कैसे न हो! एक मोटे अनुमान के अनुसार हाल के
बरसों में अमरीका में अंतिम संस्कार की लागत में दुगुनी वृद्धि हो चुकी है. ऐसा
बताया जाता है कि अब अमरीका में एक शव के
अंतिम संस्कार की लागत सामान्यत: पंद्रह से बीस हज़ार डॉलर के आसपास होने
लगी है. और जैसे इतना ही काफ़ी न हो, बढ़ते शहरीकरण के कारण कब्रस्तानों के लिए ज़मीन का
टोटा भी होता जा रहा है. इन बातों का एक असर यह भी हुआ है कि अब बहुत सारे अमरीकी
भी पारम्परिक अंतिम संस्कार की बजाय दाह
संस्कार का वरण करने लगे हैं. इस बदलाव के बावज़ूद अमरीका में अंतिम संस्कार का
बाज़ार काफ़ी बड़ा है. लगभग 20 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष. इसी बड़े बाज़ार और घटती ज़मीन ने
बैटर प्लेस फॉरेस्ट्स जैसे स्टार्ट अप को इस नवाचार के लिए प्रेरित किया है.
बैटर प्लेस फॉरेस्ट्स वाले
अलग-अलग जगहों पर खूब सारी ज़मीन खरीद रहे हैं और उस ज़मीन के छोटे-छोटे हिस्से लोगों को इस आश्वासन के साथ बेच रहे हैं
कि उसे यथावत रखा जाएगा, उसका कोई विकास
नहीं किया जाएगा. विकास से यहां आशय आधुनिक निर्माण आदि से है. हां, इस ज़मीन पर तरह
तरह के पेड़ लगाए गए हैं और ऐसे हज़ारों पेड़ भावी मृतकों को बेचे जा चुके हैं. मौत
के बाद के ‘जीवन’ के लिए चिंतित लोग वहां जाते हैं, अपनी पसंद का पेड़ चुनते
हैं और उनके नाम की एक पट्टिका वहां लगा
दी जाती है. बहुत सारे लोग पेड़ विहीन ज़मीन भी चुनते हैं. ऐसे लोगों में से जब किसी
का निधन होता है तो उसकी राख व अस्थियां खाद आदि के साथ मिश्रित कर उस ज़मीन में या
उस पेड़ की जड़ों में डाल दी जाती है. कम्पनी का वादा है कि अगर कभी ऐसा कोई पेड़ मर
गया तो उसकी जगह उसी प्रजाति का नया पेड़ लगा दिया जाएगा. कम्पनी का करोबार ठीक चल
रहा है. अभी उसमें पैंतालीस लोग काम कर रहे हैं और अगर कम्पनी के दावों पर विश्वास
करें तो हज़ारों लोगों ने वहां अपने अंतिम संस्कार के लिए पेड़ खरीद लिये हैं.
इस तरह अपने अंतिम संस्कार
के लिए ज़मीन और पेड़ आरक्षित करने का न्यूनतम खर्च तीन हज़ार डॉलर है. इस राशि में
किसी सामान्य प्रजाति का नया लगाया पौधा मिलता है, जबकि जो लोग तीस हज़ार डॉलर
तक खर्च करने की हैसियत रखते हैं उन्हें दुर्लभ और महंगी प्रजाति का
विकसित पेड़ मिल जाता है. और हां, जो लोग और भी कम खर्च करना चाहते हैं वे
मात्र नौ सौ सत्तर डॉलर खर्च कर किसी सामुदायिक वृक्ष की जड़ों में अपना डेरा डालने
का अधिकार प्राप्त कर सकते हैं. कुछ लोग अपने लिए कोई अकेला खड़ा पेड़ चुनते हैं तो
कोई मौत के बाद भी समूह में रहने की ललक के साथ समूह में लगाए गए पेड़ों में से एक का
चुनाव कर लेते हैं. एक और बात. क्योंकि ज़माना तकनीक का है तो मौत के बाद भी तकनीक
का दामन थामे रहा जा सकता है. जो लोग अपनी जेब थोड़ी और ढीली कर सकते हैं वे अपना
एक डिजिटल मेमोरियल वीडियो भी बनवा सकते हैं ताकि जब कोई उन्हें श्रद्धा सुमन
अर्पित करने आए तो वो बारह मिनिट का यह वीडियो देख उनकी यादों में डूब सके.
स्टार्ट अप की इस योजना की
कामयाबी पर बहुतों को संशय भी है. उन्हें लगता है कि जब रात को चुपचाप जाकर किसी
खाली पड़ी ज़मीन पर अपने प्रियजन के अंतिम अवशेष को निशुल्क विसर्जित किया जा सकता
है तो भला इतनी बड़ी राशि कोई क्यों खर्च करेगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि मृत्यु के इस कारोबार की परिणति क्या
होती है!
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