Tuesday, April 3, 2018

एक पत्रकार की हत्या ने छीन ली प्रधानमंत्री की कुर्सी


स्लोवाकिया यूरोप महाद्वीप का मात्र 55 लाख की आबादी वाला एक छोटा-सा देश है. उत्तर में पोलैण्ड, दक्षिण में हंगरी, पूर्व में यूक्रेन और पश्चिम में ऑस्ट्रिया तथा चेक गणराज्य यानि चारों तरफ ज़मीन से  घिरा यह देश पहले चेकोस्लोवाकिया का अंग था. अब स्लोवाकिया एक संसदीय गणतंत्र है और इसकी राष्ट्रीय परिषद में एक सौ पचास सदस्य होते हैं जिनको हर चौथे बरस आम जनता चुनती है. यहां राष्ट्रपति का चुनाव भी आम जनता के मतों से ही होता है लेकिन सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है. सन 2012 से स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री डाइरेक्शन-सोशल डेमोक्रेसी पार्टी के नेता 54 वर्षीय रॉबर्ट  फिको थे. लम्बे समय से देश की राजनीति में सक्रिय फिको 2006 से 2010 तक भी देश के प्रधानमंत्री रह चुके थे.

आजकल सारी दुनिया में सर्वशक्तिमान नेताओं का जो दौर चल रहा है फिको भी उसके अपवाद नहीं थे. एक शानदार हिलटॉप  अपार्टमेण्ट  में पूरी शान-ओ-शौकत से रहने वाले फिको पत्रकारों  के असुविधाजनक सवालों पर न केवल गुर्राया करते थे, उन्हें लकड़बग्घा (हायना) और प्रॉस्टीट्यूट तक कह दिया करते थे. अपने देश की तमाम मुसीबतों का ठीकरा वे मुस्लिम शरणार्थियों और एक यहूदी फाइनेंसर के माथे फोड़ देने के आदी थे. उनकी पार्टी स्लोवाक कुलीनों, रूसी ताकतवरों और इतालवी माफियाओं से गलबहियां करने के लिए विख्यात थी.

लेकिन अचानक वो घटित हो गया, जो कल्पनातीत था. 15 मार्च को इस सर्वशक्तिमान प्रधान मंत्री को अपना इस्तीफा देने के लिए मज़बूर होना पड़ा. इस इस्तीफे की वजह बहुत मामूली थी. एक साधारण पत्रकार और उसकी महिला मित्र की रहस्यमयी स्थितियों में मृत्यु. 26 फरवरी 2018 को एक युवा पत्रकार जेन कुसियाक और उनकी मित्र मार्टिना कुसनिरोवा को गोली मार दी गई. अनुमान यह लगाया गया कि इस हत्या के पीछे यह बात थी कि जेन एक अहम स्टोरी पर काम कर रहे थे जिसका ताल्लुक स्लोवाकिया  के बड़े बड़े नेताओं और इटली के माफिया गिरोहों के बीच के संदिग्ध रिश्तों से था. कुसियाक ने बताया था कि किस तरह इटली के अपराधी गिरोह स्थानीय नेताओं, ख़ास तौर पर सत्तारूढ़ दल के नेताओं की मदद से पूर्वी स्लोवाकिया  के निर्धन इलाकों में घुसपैठ करते हैं. कुसियाक ने यह बात भी उजागर की थी कि ये नेता यूरोपियन यूनियन के धन का दुरुपयोग करते हैं. वैसे स्लोवाकिया में भ्रष्टाचार की चर्चाएं इतनी आम हैं कि एक बार तो अमरीका की  सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मैडलिन अलब्राइट ने स्लोवाकिया को यूरोप का ब्लैक होल तक कह दिया था. हत्या के बाद कुसियाक की यह स्टोरी दुनिया भर में प्रकाशित हुई है. इस दोहरे हत्याकाण्ड ने स्लोवाकिया के जन मानस को इतना क्षुब्ध किया कि वहां एक सशक्त जन आंदोलन खड़ा हो गया. लोगों ने जेन और मार्टिना की तस्वीरें लेकर खूब प्रदर्शन किये. करीब दो सप्ताहों के प्रदर्शन और सजीव जन आंदोलन तथा तेज़ी से चले राजनीतिक घटना चक्र  की परिणति रॉबर्ट  फिको जैसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री  के त्यागपत्र में हुई. त्यागपत्र देते हुए भी रॉबर्ट फिको यह कहने से नहीं चूके कि जेन और मार्टिना की हत्या की बात करने वाले अपना निजी एजेंडा पूरा कर रहे हैं.

वैसे रॉबर्ट फिको ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह घोषणा की थी कि जेन और मार्टिना के हत्यारों को खोज निकालने वाले को करीब आठ करोड़ रुपयों का पुरस्कार दिया जाएगा, और  जिस समय वे यह घोषणा कर रहे थे तब उनके सामने की टेबल पर यह धनराशि भी प्रदर्शित की गई थी. उनके इस कृत्य पर  स्लोवाकिया वासियों ने यह कहकर खूब नाराज़गी व्यक्त की थी कि आखिर कोई प्रधानमंत्री इस तरह की अशिष्टता कैसे कर सकता है!

इस पूरे प्रकरण में एक और बात ग़ौर तलब है. जब राष्ट्रपति ने फिको का इस्तीफा स्वीकार किया तो उनकी जगह लेने के लिए उनके डेप्युटी पीटर पेलेग्रिनी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. लेकिन राष्ट्रपति महोदय ने उनके दावे को नामंज़ूर कर दिया. वजह? वे इस बात से आश्वस्त नहीं थे कि पीटर पेलेग्रिनी की नई सरकार जेन और मार्टिना की हत्या की निष्पक्ष जांच करा सकेगी. इसके मूल में यह बात  थी कि जेन की आखिरी रिपोर्ट में सत्तारूढ़ पार्टी और सरकार पर गम्भीर आरोप लगाए गए थे, और राष्ट्रपति महोदय का खयाल था कि जिस दल पर इस हत्या काण्ड में लिप्त होने का संदेह है भला उसी दल का कोई नेता इस काण्ड की निष्पक्ष जांच  कैसे करा  सकता है! स्लोवाकिया में रॉबर्ट फिको और पीटर पेलेग्रिनी की नज़दीकी सबको मालूम थी. राष्ट्रपति महोदय ने ज़ोर देकर कहा है कि नई सरकार को जनता का भरोसा जीतना होगा. उधर स्लोवाकिया की जनता की सबसे बड़ी मांग फिलहाल यही है कि जेन और उसकी मित्र मार्टिना की हत्या की निष्पक्ष  जांच हो और अपराधियों को सज़ा मिले. जनता फिर से चुनाव करवाने की भी मांग कर रही है. 
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 03 अप्रेल, 2018 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.