एक बार फिर बड़ी शिद्दत से इस बात का एहसास
हुआ कि दुनिया के बारे में अपनी जानकारी कितनी कम है! मैं अब तक इस बात पर गर्व
करता था कि हम भारतीय ही हैं जो घड़ी की सुइयों के ग़ुलाम नहीं हैं और समय पर पहुंच
जाने जैसी ग़ंदी आदत से कोसों दूर हैं. लेकिन जब यह जाना कि दुनिया में कम से कम एक
देश तो ऐसा है जो इस मामले में हमें चुनौती दे सकता है, तो इस बात का
अफ़सोस ज़रूर हुआ कि हाय! यह सम्मान भी
हमारे हाथों से फिसल गया. दक्षिण ब्राज़ील की टेक्नोलॉजिकल फ़ेडरल यूनिवर्सिटी की एक शिक्षिका डॉ. ज़ैक्लीन बोन डोनाडा का कहना
है कि किसी भी पार्टी में समय पर पहुंच जाना पूरे ब्राज़ील में बुरा माना जाता है.
बकौल ज़ैक्लीन,
ब्राज़ील की राजधानी रियो डे जेनेरियो में तो ख़ास तौर पर इसे सामाजिक
परम्परा के विरुद्ध माना जाता है. वहां जल्दी या समय पर पहुंचना ठीक वैसी ही बात
है जैसे आप किसी पार्टी में बग़ैर बुलाये पहुंच गए हों!
असल में ब्राज़ील में समय
के साथ लोगों का रिश्ता बहुत दोस्ताना और सहज है. अगर आप वहां अपने इर्द-गिर्द नज़र
दौड़ाएं तो पाएंगे लोग आहिस्ता आहिस्ता चल रहे हैं, चलने का पूरा आनंद उठा रहे
हैं और उन्हें कहीं भी पहुंच जाने की जल्दी नहीं है. सामाजिक आयोजनों के मामले में
तो समय को लेकर उनकी उदारता विलक्षण है. वहां समय के बंटवारे को लेकर सवा (पन्द्रह
मिनिट का टुकड़ा) की तो कोई परिकल्पना ही नहीं है. किसी के घर बताए गए समय के आधा
घण्टा बाद पहुंचना बहुत सामान्य बात है और इसका ज़रा भी बुरा नहीं माना जाता है. वहां
लोगों को सलाह भी यही दी जाती है कि आधे घण्टे की देरी या आधे घण्टे का इंतज़ार कई
तरह से लाभप्रद है. इस दौरान आप ज़्यादा पानी पी सकते हैं, एक
कप कॉफी का आनंद ले सकते हैं, रेस्टरूम जा सकते हैं, कोई किताब पढ़ सकते हैं, ध्यान लगा सकते हैं, या फिर यूं ही वक्त बिता सकते हैं. सलाह यही दी जाती है कि इतनी देरी को
दिल पर न लिया जाए. इसी के साथ यह भी सलाह दी जाती है कि एक के बाद फौरन दूसरी
मीटिंग न रखी जाए. यानि दो कार्यक्रमों के बीच पर्याप्त दूरी रखी जाए.
ब्रिटेन की मूल निवासिनी
लेकिन अब ब्राज़ील में रह रहीं फ़ियोना रॉय
ने ब्राज़ील का अपना एक संस्मरण साझा करते हुए बताया कि एक बार उन्हें कुछ दोस्तों
ने एक पार्टी में बुलाया. तब तक उन्हें ब्राज़ील में रहते हुए तीन माह बीत चुके थे.
अपनी ब्रिटिश आदत के मुताबिक वे ठीक समय पर मेज़बान के घर जा पहुंची. उसने हड़बड़ाते
हुए दरवाज़ा खोला तो फ़ियोना ने पाया कि वो बाथरोब में ही थी, यानि नहा
रही थी. मेज़बान ने उसे कमरे में बिठाया, पहले खुद आराम से
तैयार हुई और फिर पार्टी की तैयारी की. इस सबमें करीब दो घण्टे बीत गए. अपने इस
अनुभव से फ़ियोना ने ब्राज़ील की ज़िंदगी का एक अनलिखा नियम कण्ठस्थ कर लिया. नियम यह
कि आपका मेज़बान पार्टी के घोषित समय का इंतज़ार करेगा, और जब
वो समय बीत जाएगा तो नहाने जाएगा. बाद में
तो फ़ियोना ने भी ब्राज़ील के इस तौर तरीके को अपना लिया और वे खुद अपनी दी हुई
पार्टियों में भी देर से पहुंचने लगीं. तब उनके दोस्त कहने लगे कि यह तो ‘विरूओ ब्रासीलिएरा’ यानि पक्की ब्राज़ीलियन बन गई है!
ब्राज़ील लैटिन अमरीका का
इकलौता ऐसा देश है जहां पुर्तगाली भाषा बोली जाती है, और यह
जानना खासा दिलचस्प होगा कि इस भाषा में
देरी होने की तो अनेक अभिव्यक्तियां हैं लेकिन ठीक समय के लिए कोई अभिव्यक्ति नहीं
है. ब्राज़ील में अगर कोई कहीं समय पर पहुंच
जाए तो उसे ‘होरा इंगलिसिया’ यानि
अंग्रेज़ों की तरह वक़्त का पाबंद कहा जाता है. यह कुछ कुछ वैसा ही जैसे भारत में
ठीक समय के लिए ‘इंगलिश टाइम’ कहा जाता
है. जो लोग ब्राज़ील की जीवन पद्धति से अनजान हैं उन्हें यह समझाया जाता है कि अगर
कोई आपसे फ़ोन पर भी यह कहे कि मैं जल्दी ही पहुंच रहा हूं तो आप उसकी बातों में न
आएं. हो सकता है उस वक़्त वो अपने घर में बैठा नहाने का इरादा कर रहा हो. ऊपर हमने
जिन डॉ ज़ैक्लीन का ज़िक्र किया उन्होंने लिखा है कि उनका बॉस कई बार यह कहता था कि
वो ट्रैफ़िक में फंस गया है और जल्दी ही पहुंच रहा है, लेकिन
तब पीछे से आ रही आवाज़ें उसके घर में होने की चुगली कर रही होती थीं. और इसीलिए जाने-माने
लेखक पीटर फ्लेमिंग ने 1933 में ही अपनी किताब में लिख दिया था कि अगर कोई जल्दबाज़
है तो ब्राज़ील में दुखी हो जाएगा. बकौल पीटर, “ब्राज़ील में
देर होना एक वातावरण है. आप उसी में रहते हैं, उससे पीछा
नहीं छुड़ा सकते.”
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 28 अगस्त, 2018 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.