Tuesday, October 31, 2017

जनसंख्या की कमी से जूझ रहा है इटली

जब भी अपने देश की समस्याओं की चर्चा होती है, बात घूम फिरकर इस बिंदु पर आ टिकती है कि हमारे देश की आधारभूत समस्या इसकी विशाल जनसंख्या है. आज़ादी के बाद अनेक प्रकार से जनसंख्या को नियंत्रित करने का प्रयास हुए हैं और उन प्रयासों को कामयाबी भी मिली है लेकिन देश के संसाधनों के अनुपात में जनसंख्या इतनी अधिक है कि वे प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे वाली कहावत को चरितार्थ करने से आगे नहीं बढ़ पाते हैं. इस बात का उल्लेख करते हुए अगर मैं आपसे कहूं कि एक देश ऐसा भी है जो हमसे एकदम उलट समस्या से जूझ रहा है, तो क्या आप मेरी बात पर विश्वास करेंगे? इटली का नाम तो आपने सुना ही है.  पिछले कई दशकों से यह देश निरंतर घटती हुई जनसंख्या से त्रस्त है. इस देश में और विशेष रूप से इसके ऐतिहासिक महत्व के छोटे शहरों में जनसंख्या इतनी कम होती जा रही है कि वहां के प्रशासकों को अनेक अजीबोगरीब नुस्खे आजमाने पड़ रहे हैं! इटली की सरकार ने अपने मुल्क के बहुत सारे छोटे लेकिन खूबसूरत शहरों को सप्ताहांत  के आमोद-प्रमोद के लिए आदर्श ठिकानों के रूप में प्रचारित करना शुरु किया है. मात्र बारह स्थायी निवासियों वाला लाज़ियो ऐसा ही एक शहर है.  प्रचार का सुपरिणाम यह हुआ है कि पहले जहां इस शहर को देखने मात्र चालीस हज़ार लोग आते थे, अब उनकी संख्या बढ़कर आठ लाख प्रतिवर्ष हो गई है. कुछ शहरों के पुराने घरों  को होटलों में तब्दील कर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जा रहा है. कुछ शहर ऐसे भी हैं जो विज्ञापन देकर शरणार्थियों को अपने यहां बुला  रहे हैं. कैलाब्रिया नामक एक शहर ने तो बाकायदा यह घोषित कर दिया है कि शरणार्थी ही इटली की अर्थव्यवस्था का भविष्य हैं. यानि मंज़र कुछ-कुछ वैसा ही है जैसा हम लोग अपने देश में कस्बों के बस स्टैण्डों पर देखते हैं जहां टैक्सी वाले यात्रियों को खींच खांचकर अपनी गाड़ियों में ठूंसने की कोशिश में लगे रहते हैं.

इसी इटली का एक बहुत छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत शहर है कैण्डेला. अपनी दिलकश इमारतों और ऐतिहासिक किलों के लिए सुविख्यात इस शहर को पर्यटक और स्थानीय निवासी लिटिल नेपल्स कहकर गर्वित हुआ करते थे. यह याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है कि नेपल्स जिसे इतालवी में नेपोलि बोला जाता है इटली का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और दक्षिण-पश्चिमी तट पर बसा है.  यह एक यूनानी उपनिवेश हुआ करता था जो ईसा पूर्व चौथी सदी में रोमन साम्राज्य  का अंग बन गया था. फिर यह  रोमनों के पतन के बाद जर्मन और इसके बाद सोलहवीं सदी में स्पेन के शासनाधीन रहा. इस शहर की ख्याति इसके भव्य स्थापत्य  और कलात्मक वैभव के लिए रही है.  यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दे रखी है. तो, नब्बे के दशक में इस कैण्डेला शहर की आबादी लगभग आठ हज़ार थी लेकिन निरंतर गिरती जा रही अर्थ व्यवस्था और घटते जा रहे नौकरी के अवसरों के कारण ज़्यादातर युवा इस शहर को छोड़कर अन्यत्र जा बसे  और शहर की आबादी घटकर मात्र दो हज़ार सात सौ रह गई है. इस आबादी में वृद्धजन ज़्यादा हैं. जनसंख्या की इस कमी का असर शहर की अर्थव्यवस्था और समग्र परिवेश पर भी पड़ा है. और इसी से चिंतित होकर कैण्डेला के मेयर ने एक ऐसी घोषणा की है जो कम से कम हमारे लिए तो बेहद चौंकाने वाली है. मेयर निकोला गट्टा ने दूसरी जगहों  से आकर इस शहर में बसने वालों के लिए नकद प्रोत्साहन राशि  देने की घोषणा की है. उनकी घोषणा के अनुसार सिंगल्स को इस शहर में आकर रहने पर 800 यूरो (भारतीय मुद्रा में लगभग  61 हज़ार रुपये), कपल्स को 1200 यूरो (92 हज़ार रुपये) और परिवार के साथ आने वालों को 2000 यूरो (करीब डेढ़ लाख रुपये) दिये जाएंगे. वैसे कैण्डेला  के मेयर ने हाल में  जैसी घोषणा की है वैसी घोषणा बोर्मिडा के मेयर पहले ही कर चुके हैं. उन्होंने अपने शहर में आ बसने वालों को दो हज़ार यूरो देने की घोषणा की थी, लेकिन उस घोषणा पर लोग इतनी  भारी संख्या में टूट पड़े कि मेयर महोदय को अपनी घोषणा वापस लेनी पड़ी. शायद इस प्रकरण से सबक लेते हुए कैण्डेला के मेयर महोदय ने अपनी घोषणा के साथ ये शर्तें भी जोड़ दी हैं कि ये लाभ तभी देय होंगे जब कोई इस शहर का स्थायी बाशिंदा बनने के लिए वचनबद्ध होगा, यहां एक मकान किराये पर लेगा और उसकी सालाना आमदनी कम से कम साढे सात  हज़ार यूरो होगी. इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए छह परिवार अब तक यहां आ चुके हैं और पांच अन्य परिवार आने की प्रक्रिया में हैं. उम्मीद और कामना की जानी चाहिए कि कैण्डेला शहर अपना खोया वैभव फिर से प्राप्त कर लेगा.

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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 31 अक्टोबर, 2017 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.