बहुत सारे देशों की बहुत सारी जगहें
अलग-अलग कारण से इतनी विख्यात हैं कि दुनिया भर के पर्यटक वहां खिंचे चले आते हैं.
पर्यटन से होने वाली आय से न केवल स्थानीय नागरिकों का कल्याण होता है उस देश
विशेष की सरकार को भी अपनी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने में भारी सहायता मिलती है. कुछ स्थान अपने प्राकृतिक सौंदर्य के
लिए जाने जाते हैं तो कुछ धर्म,
अध्यात्म, पर्यावरण, नैसर्गिक सौंदर्य, खरीददारी, मौज़ मस्ती वगैरह
के लिए. लेकिन अगर कोई आपसे यह कहे कि हमारी इस रंग बिरंगी दुनिया में कम से कम एक
जगह ऐसी भी है जहां पर्यटक घूमने फिरने से
ज़्यादा इस बात से आकर्षित होकर आते हैं कि वहां ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना
अपेक्षाकृत आसान है, तो क्या आप विश्वास कर लेंगे?
दक्षिण कोरिया का जेजू द्वीप पर्यटकों के
बीच बहुत लोकप्रिय है. ज्वालामुखी विस्फोट से बना यह द्वीप कोरिया के दक्षिणी
पश्चिमी हिस्से से मात्र सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. निकटवर्ती चीन से बहुत
बड़ी संख्या में पर्यटक जेजू के समुद्र तट का आनंद लेने, खरीददारी करने और जुआ खेलने के लिए आते हैं, लेकिन इसी के साथ
चीन से आने वाले पर्यटकों में ऐसे लोगों की संख्या भी बहुत ज़्यादा होती है जो यहां सिर्फ
ड्राइविंग लाइसेंस लेने आते हैं और अगर उस काम से समय बच जाता है तो थोड़ा पर्यटन भी कर लेते
हैं. दरअसल चीन के बड़े शहरों में ड्राइविंग स्कूल से लाइसेंस बनवाने पर जितना
खर्चा होता है उससे कम खर्च में जेजू में आकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया जा सकता है, और पर्यटन भी हो
जाता है. चीन की बहुत सारी पर्यटन कम्पनियां दक्षिण कोरिया का हवाई कहे जाने वाले
इस जेजू द्वीप में आकर लाइसेंस बनवाने के
लिए पांच दिन का हॉलीडे पैकेज तक देने लगी हैं. ये पैकेज लगभग 1300 डॉलर से शुरु
होते हैं और इस में घूमना-फिरना भी शामिल होता है. इसके विपरीत चीन की राजधानी
बीजिंग में एक वीआईपी ड्राइविंग कोर्स का खर्चा करीब 2200 डॉलर होता है. इतना ही
नहीं,
वहां
ड्राइविंग लाइसेंस मिलना है भी बहुत कठिन. इसके अलावा यहां से मिलने वाले लाइसेंस
का एक अतिरिक्त लाभ यह भी है कि यह विदेशों में भी मान्य है, जबकि चीन में लिया
गया लाइसेंस केवल चीन में ही काम में आ
सकता है. इस बात को यों समझें. संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर इण्टरनेशनल
ड्राइविंग परमिट की व्यवस्था शुरु की गई
जिससे यह सुविधा हो गई कि जिनके पास ये परमिट हों वे लगभग एक सौ पचास अन्य
देशों में भी कार किराये पर ले सकते और ड्राइव कर सकते हैं. चीन ने इस समझौते पर
दस्तखत नहीं किए इसलिए चीनी ड्राइविंग लाइसेंस पर यह परमिट नहीं मिलता है जबकि दक्षिण
कोरिया वाले पर मिल जाता है. इस वजह से वे चीनी जो दुनिया के अन्य देशों में रहते
या जाते रहते हैं उन्हें अपने देश के लाइसेंस की बजाय दक्षिण कोरिया का लाइसेंस
लेना अधिक लाभप्रद लगता है. दक्षिण कोरिया के इस लाइसेंस को पा लेने के बाद चीनी
नागरिकों को अपने देश में एक सामान्य लोकल ड्राइविंग परमिट लेना होता है जो आसानी
से मिल जाता है. वैसे चीन में ड्राइविंग
लाइसेंस पाना बहुत कठिन है. एक तो यह बात कि वहां आवेदकों की तुलना में टेस्ट
सेण्टर बहुत कम हैं इसलिए प्रतीक्षा सूची बहुत लम्बी होती है, और अगर कोई
परीक्षा के किसी भी चरण में नाकामयाब हो जाए तो उसके इंतज़ार की घड़ियां और अधिक
लम्बी हो जाती हैं. चीन का टेस्ट इस मामले में भी मुश्क़िल है कि वहां लिखित
परीक्षा में सौ सवाल पूछे जाते हैं जबकि दक्षिणी कोरिया में मात्र चालीस सवाल ही
पूछे जाते हैं. यही नहीं, चीन में उत्तीर्ण होने के लिए नब्बे प्रतिशत अंक
ज़रूरी होते हैं,
लेकिन
कोरिया में साठ प्रतिशत अंक लाने पर ही उत्तीर्ण कर दिया जाता है.
दक्षिण कोरिया में
ड्राइविंग लाइसेंस लेने की प्रक्रिया न तो चीन जितनी जटिल है और न उतनी समय खपाऊ.
सामान्यत: एक दिन में टेस्ट की सारी प्रक्रिया पूरी हो जाती है और आवेदन करने से
लगाकर आपके हाथ में लाइसेंस आने में अधिकतम एक सप्ताह लगता है. बहुत सारे पर्यटन
पैकेज सुलभ कराने वाले कोरिया की ड्राइविंग एकेडेमी से तालमेल बिठाकर तेरह घण्टों
की अनिवार्य ड्राइविंग ट्रेनिंग का भी इंतज़ाम कर देते हैं और ये दावा करते हैं कि इनकी दिलवाई ट्रेनिंग के बाद टेस्ट में सफलता करीब-करीब सौ
फीसदी सुनिश्चित होती है. चीनियों के लिए जेजू द्वीप में आकर ड्राइविंग लाइसेंस
लेने में एक और सुविधा यह भी है कि यहां आने के लिए उन्हें वीज़ा भी नहीं लेना होता
है.
ड्राइविंग लाइसेंस और
पर्यटन के इस गठबंधन ने क्या आपको भी यह सोचने को प्रेरित किया है कि ऐसे और
कौन-से गठबंधन मुमकिन हैं?
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, दिनांक 09 अक्टोबर, 2018 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.