Sunday, December 28, 2008

दासता का एहसान

1993 की नोबल पुरस्कार विजेता टॉनी मॉरिसन अपने लेखन में बार-बार यह कहती रही हैं कि अमरीकी साहित्य और इतिहास उसकी अश्वेत जनसंख्या के निषेध पर निर्मित है और अमरीकी राष्ट्र की नींव श्वेत-अश्वेत के बीच की ‘हम’ और ‘वे’ की खाई पर टिकी है. ऐसे में यह बात अतिरिक्त महत्व अर्जित कर लेती है कि उन का नया उपन्यास अ मर्सी ( A Mercy) ठीक उसी सप्ताह में प्रकाशित हुआ है जिस सप्ताह में अमरीका ने अपने राष्ट्रपति के रूप में एक ऐसे शख्स को चुना जो इस खाई को नकारता नज़र आता है.

टॉनी मॉरिसन का यह उपन्यास अ मर्सी उनके बहु-प्रशंसित और पुलिट्ज़र विजेता उपन्यास बिलवेड (Beloved) से पहले की कथा कहता है. बिलवेड को हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले 25 वर्षों का महानतम उपन्यास घोषित किया है. अ मर्सी की कथा 1682 में शुरू होती है. एक भला व्यापारी जेकब वार्क है. उसके पास एक फार्म है जिससे उसे कोई खास मुनाफा नहीं हो रहा है. वह एक तम्बाकू खेत मालिक डी’ओर्टेगा से अपना कर्ज़ा वसूलने मेरीलैण्ड जाता है. ओर्टेगा कर्ज़ा चुकाने में असमर्थ है इसलिए वह अपने दो दर्ज़न गुलाम जेकब वार्क के सामने कर देता है. वार्क को यह अच्छा तो नहीं लगता लेकिन फिर भी दयावश वह एक छोटी लड़की फ्लोरेंस को चुन लेता है. उसकी यह दया ही उपन्यास का शीर्षक है. फ्लोरेंस पर दया उसकी मां ने भी की है, कि उसे ओर्टेगा के खेतों की क्रूरता से निकालकर वार्क के खेतों की अपेक्षाकृत आसान ज़िन्दगी प्रदान की है. मेरीलैण्ड गया हुआ जेकब यह सोचता है कि ओर्टेगा के पास इतना बड़ा घर और इतने उम्दा कपड़े क्यों है और क्यों वह अभावों में जी रहा है. इसी सवाल से उसे नई भावी अर्थव्यवस्था का सूत्र मिलता है. नई गुलाम श्रम व्यवस्था का. वह भी बारबाडोस के खेतों में निवेश करता है. उसका यह कृत्य प्रतीकात्मक रूप से इतिहास का वह क्षण है जब अमरीका सुदूर प्रांतों में गुलाम श्रमिकों के माध्यम से पूंजीवाद के डैने पसारने लगता है. (आज के आउटसोर्सिंग में भी इसकी अनुगूंज सुनी जा सकती है!). अपने प्रयत्न में उसे सफलता मिलती है. जब वह मरणासन्न है तो उसकी पत्नी रेबेका तीन लड़कियों की मदद से उसका करोबार संभालने के प्रयास में है. असली कथा तो इन तीन लड़कियों और रेबेका की ही है. मॉरिसन ने जैसे इन चार स्त्रियों में ही देश की उम्मीद के दीदार किए हैं.

ये चारों स्त्रियां अलग-अलग तरह से गुलाम हैं. इंग़लैण्ड से आई रेबेका को नौकर, वेश्या और पत्नी में से एक विकल्प चुनना था और उसे अंतिम विकल्प सबसे सुरक्षित लगा. लीना का पूरा परिवार उसके बाल्यकाल में ही प्लेग का शिकार हो गया था और रखैल बनकर उसने अपने जीवन को जैसे-तैसे स्थिर किया है. एक जहाज पर पली बढ़ी, कम अक्ल वाली सोरो, और फ्लोरेंस, जिसने एक गुलामी का त्याग करके दूसरी गुलामी का वरण किया. उपन्यास की धुरी है रेबेका. शेष चारों स्त्रियों के किरदार उसी की धुरी पर घूमते हैं. उसके बिना इन चारों लड़कियों का कोई ठिकाना नहीं होता और अगर ये लड़कियां न होतीं तो रेबेका कभी की मर गई होती. इस तरह स्वामी-दास के रिश्तों और स्त्रियों की अंतर्निर्भरता के इस विरोधाभास के माध्यम से टॉनी ने जैसे अमरीकी इतिहास को ही साकार कर दिया है. कथा का एक और आयाम है फ्लोरेंस का एक अफ्रीकी लुहार के प्रति अनुराग. इस लुहार को वार्क ने अपना नया घर बनाने के लिए नौकर रखा है. इस लुहार के लिए टॉनी लिखती हैं, “वह शादी कर सकता था, अपनी चीज़ें रख सकता था, यात्रा कर सकता था और अपना श्रम बेच सकता था.” यानि वह पूरी तरह से आज़ाद था. यह बात रेखांकनीय है कि टॉनी ने एक पूरी तरह मुक्त व्यक्ति के रूप में एक अफ्रीकी का सृजन कर दास-स्वामी की रूढ छवि को तोड़ा है. यह भी गौर तलब है कि यह अफ्रीकी लुहार चीज़ों को ढालता, बनाता और संवारता है. जैसे वह मानवता का लुहार है.

टॉनी कथा कहने के लिए रूढ शिल्प का प्रयोग नहीं करतीं. यहां उन्होंने हर किरदार को एक अध्याय दिया है और वे बहुत कम एक दूसरे के सामने आए हैं. उपन्यास एक तरह से मौखिक इतिहास की शक्ल में उभरता है. अपने काव्यात्मक और अनेकार्थी गद्य तथा बेहद प्रभावशाली ब्यौरों के कारण भी यह उपन्यास हमें अभिभूत करता है.

Discussed book:
A Mercy
By Toni Morrison
Published by Knopf
Hardcover, 176 pages
US $ 23.95

राजस्थान पत्रिका के रविवारीय परिशिष्ट में मेरे साप्ताहिक कॉलम किताबों की दुनिया के अंतर्गत 28 दिसम्बर, 2008 को प्रकाशित.









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