शायद पूरी दुनिया
में ऐसा ही होता है. चुने जाने से पहले नेता सादगी की बातें करते हैं, अगर
प्रतिपक्ष में होते हैं तो जो सत्ता में हैं उनकी फिज़ूलखर्ची की जी खोल कर आलोचना
करते हैं, लेकिन जब वे खुद सत्तासीन हो जाते हैं तो जैसे कोई जादू की छड़ी घूमती है
और पिछली बातें उन्हें याद ही नहीं रहतीं हैं. भारत में तो हम इस प्रवृत्ति के
इतने अभ्यस्त हो चुके हैं कि अब ऐसा होना हमें न तो चौंकाता है और न व्यथित करता
है. हममें से बहुत सारे लोग यह भी मानते
हैं कि कथनी और करनी का यह भेद औरों की तुलना में हम भारतीयों में अधिक है. लेकिन अब
सुदूर फ्रांस से जो ख़बर आई है उसने हमारे
इस सोच को डगमगा दिया है. फ्रांस में सन 2012 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में
फ्रांस्वां ओलांद विजयी रहे थे. उनसे पहले 2007 से 2012 तक वहां के राष्ट्रपति थे
निकोलस सार्कोजी, जो अपनी खासी महंगी और विलासितापूर्ण जीवन शैली के लिए लगातार चर्चाओं
में रहे थे. इनके खिलाफ़ अपने चुनाव अभियान में फ्रांस्वां ओलांद ने अपने सादे जीवन का भरपूर यशोगान किया था और खुद को मिस्टर नॉर्मल के रूप में
जनता के सामने पेश किया था. जीत जाने के बाद उन्हें समाजवादी राष्ट्रपति ही कहा भी गया. लेकिन अब उन्हीं के अंत:पुर से जो
ख़बरें बाहर आई हैं उनसे उनकी कौशल पूर्वक निर्मित यह सादगीपूर्ण छवि पूरी तरह नष्ट
हो गई है.
फ्रांस के एक
व्यंग्यात्मक साप्ताहिक अख़बार ले-कानार-एंशेने में यह बात उजागर हुई है कि
राष्ट्रपति महोदय ने अपने थोड़े-से बचे बालों की साज-संवार के लिए अनुबंध पर एक हेयर ड्रेसर रखा है. इस
हेयर ड्रेसर का नाम ओलिवर बी. बताया गया है. इस हेयर ड्रेसर को प्रतिमाह दस हज़ार
यूरो (भारतीय मुद्रा में करीब 7.15 लाख रुपये) के अनुबंध पर पूरे पांच साल के लिए रखा गया है. यानि इसे पांच बरस में छह लाख यूरो का भुगतान होगा. इन ओलिवर महाशय को इस नियमित वेतन के अलावा मकान, वितीय
सहायताएं और अन्य परिवार विषयक सुख
सुविधाएं भी देय हैं. दस हज़ार यूरो प्रतिमाह की यह राशि कितनी बड़ी है इसे समझने के
लिए यह जान लेना काफी होगा कि इन राष्ट्रपति महोदय के काबिना सदस्यों को 9,940
यूरो का वेतन देय होता है और खुद राष्ट्रपति महोदय को 14,910 यूरो प्रतिमाह वेतन
के रूप में मिलते हैं. अनुबंध के अनुसार ओलिवर को चौबीसों घण्टे राष्ट्रपति महोदय की
सेवा में हाज़िर रहना होता है. वे
राष्ट्रपति जी की विदेश यात्राओं में भी उनके साथ जाते हैं. हर सुबह, हर भाषण से
पहले और जब भी राष्ट्रपति जी चाहें ओलिवर को उनकी सेवा में उपस्थित होना होता है. अनुबंध
में यह भी उल्लिखित है कि वे अपने काम आदि के बारे में और उस दौरान प्राप्त
सूचनाओं को लेकर पूरी गोपनीयता बरतेंगे.
ओलिवर की सेवा शर्तें इतनी कड़ी है कि
उन्हें अपनी संतान के जन्म के अवसर पर भी छुट्टी नहीं मिल सकी.
कोई व्यक्ति, भले ही
वह किसी देश का राष्ट्रपति ही क्यों न हो,
अपनी साज सज्जा कैसे करे, यह उसका निजी मामला है और इस पर कोई बहस होनी नहीं
चाहिए. लेकिन फ्रांस्वां ओलांद का अपने बालों से यह मोह चर्चा का विषय इसलिए बन
गया कि ओलिवर बी. की यह नियुक्ति सरकारी
खर्चे पर की गई है. और जब खुद सरकार ने इस बात का पुष्टि कर दी है तो इस बात को
सनसनीखेज पत्रकारिता या विरोधियों की दुर्भावना का नाम भी नहीं दिया जा सकता.
इधर फ्रांस्वां
ओलांद के नेतृत्व वाली सरकार अर्थव्यवस्था में तथाकथित सुधार के लिए उठाए गए बहुत
सारे कदमों के लिए न केवल निन्दा वरन हिंसक प्रदर्शनों तक का सामना कर रही है, और इनकी वजह से उनकी लोकप्रियता का ग्राफ इतना नीचे गिर
चुका है कि उन्हें फ्रांस का अब तक का
सबसे अलोकप्रिय राष्ट्रपति कहा जाने लगा है. अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के
लिए वे कम्पनियों के लिए अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती और उन्हें नौकरी से निकालने
की राह सुगम करते जा रहे हैं. ऐसे में स्वाभाविक ही है कि अपने धन का ऐसा
दुरुपयोग जनता को अप्रिय लगा है. सोशल
मीडिया पर चटखारे लेकर इसकी चर्चाएं हो रही हैं. लोग यह भी नहीं भूल सके हैं कि पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सार्कोजी ने अपनी सेवा में
एक मेकअप आर्टिस्ट तैनात कर रखा था जिसे हर माह आठ हज़ार यूरो का भुगतान किया जाता था. जनता पूछ रही है कि दोनों में
क्या अंतर है?
इस तरह की ख़बरों से
लगता है कि जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को
पानी की तरह बहाने के काम में किसी भी देश के नेता पीछे नहीं रहना चाहते हैं.
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 19 जुलाई, 2016 को चर्चा में फ्रांस के राष्ट्रपति का महंगा केश-प्रेम शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.