Tuesday, January 15, 2019

जीत की कोई उम्मीद नहीं फिर भी लड़ रही है वो!


बहुत बार ऐसा कुछ जानने को मिलता है कि मन गहरे अवसाद में डूब जाता है. इण्डोनेशिया की चालीस वर्षीया नूरिल मकनून के बारे में जानकर ऐसा ही हुआ. वे तीन बच्चों की मां है और बाली के पूर्व में अवस्थित द्वीप की रहने वाली हैं. सन 2010 में उन्हें एक स्कूल में लेखा सहायक की अस्थायी नौकरी मिली तो जीवन की गाड़ी कुछ आराम से चलने लगी. लेकिन यह आराम बहुत समय नहीं रहा. तीन बरस बाद उनके स्कूल में एक नया प्रिंसिपल आया और उसने उनका सुख चैन सब छीन लिया. प्रिंसिपल साहब जब चाहते नूरिल को अपने चैम्बर में बुला भेजते और उससे खुलकर अपने अंतरंग जीवन  की बातें करने लगते. स्कूल के समय के बाद वे उसे वक़्त बेवक़्त फोन करके भी यही सब करते. और जैसे इतना ही पर्याप्त न हो, एक तरफ तो वे नूरिल से कहते कि वो भी उनके साथ अंतरंगता कायम करे और दूसरी तरफ स्कूल के कर्मचारियों के सामने इस बात की डींग हांकते कि नूरिल से उनका अफेयर चल रहा है. बेचारी नूरिल बहुत भारी मन से उनकी ये फूहड़ और अश्लील हरकतें सहती रहने को विवश थी. इसलिए विवश थी कि उसकी नौकरी अस्थायी थी और वह जानती थी कि शिकायत करने का मतलब होगा अपनी नौकरी से हाथ धो बैठना.

लेकिन परेशानी के इसी दौर में एक दिन उसे न जाने क्या सूझा कि प्रिंसिपल ने जब उसे फोन किया और हमेशा की तरह गंदी बातें करने लगा तो उसने उन बातों को रिकॉर्ड कर लिया. यह रिकॉर्डिंग उसने अपने पति को तो सुनाई ही उसके साथ-साथ अपनी एक सहकर्मी को भी सुनाई, और उसी सहकर्मी ने यह बात स्टाफ के कुछ और लोगों को बता दी. अब हुआ यह कि नूरिल की ग़ैर मौज़ूदगी में उसके स्टाफ के कुछ लोगों ने उसके फोन से इस रिकॉर्डिंग की कॉपी बना ली अपने कुछ साथियों को भी सुना दी. उड़ते उड़ते यह बात प्रिंसिपल तक भी जा पहुंची. उसे तो आग-बबूला होना ही था. प्रिंसिपल ने नूरिल को बुला कर धमकाया और कहा कि जब तक वो उस रिकॉर्डिंग को डिलीट नहीं कर देती, उसके अनुबंध को विस्तार नहीं दिया जाएगा. नूरिल के मना कर देने पर उसे नौकरी से निकाल दिया गया.

असल दुखदायी प्रकरण इसके बाद शुरु हुआ. नूरिल को नौकरी से निकाल देने के बाद प्रिंसिपल ने पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराई कि नूरिल ने उसके विरुद्ध मानहानि का आपराधिक काम किया है. पुलिस ने कोई दस-बारह बार नूरिल को तफ़्तीश के लिए बुलाया और अंतत: उसे गिरफ़्तार  कर लिया. अभियोग पक्ष ने उस पर अश्लील सामग्री के वितरण का, न कि मानहानि का,  आरोप लगाया. नूरिल को दो महीने ज़ेल में गुज़ारने पड़े, हालांकि इस बीच उसके स्कूल की सहकर्मियों ने अपने ये बयान भी दर्ज़ कराए कि उस रिकॉर्डिंग  का वितरण नूरिल ने नहीं किया था अपितु उन्होंने ही उसके फोन से उसे लेकर वितरित किया था. नूरिल के वकील ने भी यह तर्क दिया कि नूरिल ने यह रिकॉर्डिंग अपने बचाव के लिए की थी और इसे अपने ही पास रखा था, उसने इसका वितरण भी नहीं किया था. उधर प्रिंसिपल ने अपने बचाव में यह कहा कि फोन पर सुनाई दे रहे वार्तालाप का नूरिल से कोई सम्बंध नहीं है. इस वार्तालाप में वे तो एक अमरीकी पोर्न अभिनेत्री को सम्बोधित कर ये बातें कह रहे हैं. अंतत:  अदालत ने भी पाया कि इस मामले में नूरिल दोषी नहीं है.

लेकिन किस्सा यहां ख़त्म नहीं हुआ. प्रिंसिपल  के वकील इसके बाद इस मामले को इण्डोनेशिया के कानूनी प्रावधानों के तहत सुप्रीम कोर्ट ले गए और वहां बग़ैर नूरिल को अपनी बात कहने का कोई मौका दिये, निचली अदालत के फैसले को उलटते हुए नूरिल को अश्लील सामग्री के वितरण का दोषी करार दे दिया गया.  उसे छह माह के कारावास और पैंतीस हज़ार डॉलर के जुर्माने की सज़ा सुना दी गई.  अगर वो यह राशि जमा न  करा सके तो उसे तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इस सारे मामले का एक दुखद पहलू यह और है कि प्रिंसिपल को वहां के स्थानीय प्रशासन में और बड़े तथा महत्वपूर्ण पद पर भेज दिया गया.

असल में इण्डोनेशिया के कानून अभी भी बहुत हद तक स्त्री विरोधी हैं. किसी स्त्री के विरुद्ध अश्लील बातें करना अपराध नहीं माना जाता है. औरतों से अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल पुरुषों की इस तरह की अभद्रताओं  को सहती रहेंगी,  अपनी नौकरी की खातिर उच्चाधिकारियों को ‘खुश’ भी करेंगी.  स्त्रियों के विरुद्ध होने वाले अपराधों की पड़ताल के लिए वहां महिला पुलिस की भारी कमी है, और इसके मूल में वहां प्रचलित वर्जिनिटी टेस्ट की शर्मनाक व्यवस्था भी है. इस सबके बावज़ूद नूरिल अपनी लड़ाई ज़ारी रखे है. वह वहां प्रतिरोध की एक प्रतीक बन कर उभरी है, हालांकि इस लड़ाई में उसकी जीत की उम्मीद शायद ही किसी को हो.
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 15 जनवरी, 2019 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.