Tuesday, July 18, 2017

कुत्ता पुराण उर्फ़ अच्छे परिवारों के कुत्ते भी अच्छे होते हैं!

अगर कोई व्यक्ति अमरीका के किसी बड़े शहर में कोई घर या अपार्टमेण्ट खरीदना या किराये पर लेना चाहे तो उसे न सिर्फ अपनी आर्थिक-सामाजिक  स्थिति, अपने परिवार आदि के बारे में आश्वस्तिदायक एवम प्रामाणिक जानकारियां सुलभ करानी होती हैं, अगर वो पालतू कुत्ता भी रखता है तो उसे उस कुत्ते के खानदान और चाल-चलन के बारे में भी समुचित और सत्यापित जानकारियां देनी होती हैं. न सिर्फ इतना, बहुत सारे अपार्टमेण्ट प्रबंधन तो बाकायदा कुत्तों के इण्टरव्यू भी लेने लगे हैं. एक भावी किरायेदार ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया है कि उनसे उनके और उनके परिवार के बारे में जितने सवाल-जवाब किये गए उससे कहीं ज़्यादा सवाल उनके कुत्ते से पूछे गए. और कुत्तों को लेकर यह सजगता केवल अमरीका में ही नहीं बरती जा रही है. कनाडा और ऑस्ट्रेलिया  से भी ऐसी ही ख़बरें आ रही हैं. शायद दुनिया के और भी अनेक देशों में यह चलन हो गया हो कि किसी को मकान किराये पर देने से पहले उसके पालतू कुत्ते के बारे में भी आश्वस्त हो जाया जाए ताकि वहां रहने वाले अन्य लोगों को कोई असुविधा न हो. यहीं यह स्मरण कर लेना भी प्रासंगिक होगा कि पश्चिमी देशों में नागरिक सुविधाओं की सुनिश्चितता पर बहुत ज़ोर रहता है. कोई भी किसी अन्य को अपनी छोटी से छोटी सुविधा या अधिकार का हनन नहीं करने देता है और सरकारें भी इस काम में मददगार साबित होती हैं. इन सारी बातों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए.  

इन देशों में जब इतना सब हो रहा है तो बहुत स्वाभाविक है कि उद्यमी लोग इसमें भी अपना रोज़गार और मुनाफ़ा खोज लें. अमरीका में, जहां जानवर पालने का चलन खूब है,  पालतू जानवरों की एक पूरी की पूरी इण्डस्ट्री ही उठ खड़ी हुई है, जो उनके मालिकों को मकान दिलवाने में मदद करने के लिए इन पालतू कुत्तों का डीएनए  टेस्ट करवाती हैं, उनकी वंशावली प्रमाणित करती है, उनके खानदानी होने का प्रमाण पत्र प्रदान  करती है, उनके फोटो शूट करवाती है ( बतर्ज़ प्रोपोज़ल फोटोज़!) और ज़रूरत पड़ने पर उनके सद व्यवहार के प्रमाण पत्र भी ज़ारी करती है.  और जैसे इतना ही पर्याप्त न हो, वहां एक अमरीकन  कैनल क्लब तक है जो कुत्तों के लिए गुड सिटिजन सर्टिफिकेट कोर्स भी  संचालित करता है. काफी पुराने इस क्लब की  प्रगति का यह आलम है कि जहां साल 1989 में इस क्लब ने सिर्फ  1300 कुत्तों को ग्रेजुएट की उपाधि प्रदान की थी, पिछले बरस इस संस्थान से 65,000 श्वान स्नातक हुए. अकेले न्यूयॉर्क शहर में इस क्लब के 75 मान्य इंस्ट्रक्टर्स  और परीक्षक हैं, जो हर बरस कम से कम 2500 कुत्तों की परीक्षा लेते हैं. इसी तरह के अन्य भी  अनेक संस्थान हैं. इनके प्रमाण पत्र व अनुशंसा पत्र बहुत मूल्यवान माने जाते हैं. 

बहुत सारे ऐसे संस्थान भी खुल गए हैं जो भावी मकान मालिक द्वारा लिये जाने वाले इण्टरव्यू के लिए कुत्तों को प्रशिक्षित  करते हैं. ऐसे ही एक संस्थान के कैनाइन गुड सिटिजन प्रोग्राम  के अंतर्गत  कुत्तों को दस स्किल्स सिखाई जाती हैं जिनमें निर्देश पर बैठ जाना और कहने पर अपरिचितों के साथ शालीनता से पेश आना भी शामिल होता है. लेकिन मज़े की बात यह कि अपने देश की तरह परदेस में भी ऐसे प्रतिभाशाली लोग कम नहीं हैं जो हर चीज़ के लिए वैकल्पिक शॉर्ट कट तलाश लेते हैं. वहां भी उस्ताद लोग  प्रशिक्षण की परेशानी  से बचने के लिए अपने कुत्तों को या तो नशीली दवा खिला देते हैं या फिर इण्टरव्यू से ठीक पहले उन्हें इतना थका डालते हैं कि वे इण्टरव्यू के वक्त आक्रामक व्यवहार कर ही नहीं पाते हैं. अनेक इमारतों में कुत्तों की अधिकतम वज़न सीमा भी निर्धारित होती है जिसकी पालनार्थ लोग अपने कुत्तों  को कई दिन भूखा तक रखते हैं. बहुत सारी इमारतों में कुछ ख़ास नस्लों के कुत्तों को वर्जित करार दिया जाता है और इसका तोड़ उस्तादों ने यह निकाला है कि वे उनका डीएनए परीक्षण  करवा कर यह स्थापित कर देते हैं कि वह कुत्ता उस नस्ल का नहीं है जिसका नज़र आ रहा है.

कुल मिलाकर तू डाल-डाल मैं पात-पात का खेल ज़ारी है. असल में रिहायशी इलाकों और इमारतों का प्रबंधन करने वाले चाहते हैं कि किसी के भी पालतू कुत्ते से औरों को कोई  असुविधा न हो. इसी लिहाज़ से न्यूयॉर्क  के एक सम्पन्न रिहायशी इलाके की एक प्रतिष्ठित बिल्डिंग ने तो अपने यहां एक डॉग इण्टरव्यूवर  की नियुक्ति की है जो भावी किरायेदारों के कुत्तों का बाकायदा इण्टरव्यू लेती हैं. यह भद्र महिला उम्मीदवार श्वान को अपने साथ काम करने वाली लड़कियों से मिलवाती है और फिर उसकी प्रतिक्रिया को परखती हैं. वे खुद भी उस कुत्ते को छू कर उसकी प्रतिक्रिया  का आकलन करती हैं. इस भद्र महिला का यह कथन बहुत अर्थपूर्ण है कि अच्छे परिवारों के कुत्ते भी अच्छे होते हैं!


●●●
जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 18 जुलाई, 2017 को अमरीका में उद्योग बना पालतू जानवरों का शौक शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.