Thursday, March 20, 2008

जेन ऑस्टेन की जीवनी

लोकप्रिय अंग्रेज़ी कथाकार जेन ऑस्टेन की जोन स्पेन्स कृत सुलिखित सद्य प्रकाशित जीवनी बिकमिंग जेन ऑस्टेन इन दिनों चर्चा में है. इस किताब पर ‘बिकमिंग जेन’ नाम से एक फिल्म भी बन चुकी है. यह जीवनी जेन ऑस्टिन के जीवन का आत्मीय वृत्तांत है. स्पेन्स ने गहन शोध करके यह तथ्य उजागर किया है कि जेन एक आकर्षक आयरिश युवक टॉम लेफ्रॉय के प्रेम में डूबी थीं और इसी प्रेम की रचनात्मक परिणति है उनका बेहद लोकप्रिय उपन्यास ‘प्राइड एण्ड प्रेज्युडिस’. जोन जेन के चरित्र को परत-दर-परत खोलते हैं और हम यह जान पाते हैं कि इस रिश्ते तथा उनके जीवन की अन्य घटनाओं ने किस तरह उनकी सर्जनात्मकता को प्रभावित किया.
एक अर्थ में तो इस जीवनी को उद्घाटक कहा जा सकता है. जेन की डायरी और उनके पत्रों से पर्याप्त सहायता लेकर जीवनीकार जोन ने लेखिका के जीवन की अनेक घटनाओं और उनके लेखन के बीच सम्बन्ध दिखाया है. वैसे यहीं यह कहना भी अप्रासंगिक न होगा कि खुद जेन ऑस्टेन अपने निजी जीवन और रचना के अंत:सम्बन्धों को नकारा करती थीं. जेन के जीवन के दो प्रमुख व्यक्ति हैं एलिज़ा डी फ्यूलाइड और टॉम लेफ्रॉय. स्पेन्स लिखते हैं कि जेन की उनसे 14 वर्ष बडी चचेरी बहन एलिज़ा और हेनरी का प्रेम प्रसंग बीस साल बाद भी जेन के दिलो-दिमाग पर छाया रहा. इस प्रसंग की अनुगूंज जेन की कहानियों ‘लव एण्ड फ्रेंडशिप’ और ‘लेस्ली कासल’ में सुनी जा सकती हैं जहां एक युवा पुरुष और उसकी अधेड प्रेमिका के सम्बन्धों के खतरों की चर्चा है या एक उछृंखल युवती पर व्यंग्य है. एलिज़ा के चरित्र की छवियां ‘हेनरी एण्ड एलिज़ा’ में भी पहचानी जा सकती हैं.
टॉम लेफ्रॉय वह व्यक्ति है जिससे अपने असल जीवन में जेन प्यार करती थीं और इस इंतज़ार में थीं कि वह अपनी वकालत की पढाई पूरी कर ले तो शादी की जाए. बकौल जोन, टॉम के प्रति जेन का अनुराग इतना गहरा था कि उसने टॉम के प्रिय उपन्यास ‘टॉम जॉन्स’ के किसी न किसी चरित्र के नाम पर अपने हर उपन्यास का कम से कम एक चरित्र रचा, भले ही वह चरित्र गौण हो. जेन को टॉम के परिवार से ही अपने उपन्यास ‘प्राइड एण्ड प्रेज्युडिस’ के लिए आधारभूत घटनाक्रम प्राप्त हुआ. जोन यह भी कहने से नहीं चूकते कि इस उपन्यास में एलिज़ाबेथ का चरित्र असल ज़िन्दगी के टॉम के आधार पर निर्मित है और डार्सी के चरित्र मंर खुद जेन को पहचाना जा सकता है. जेन के कई उपन्यासों में टॉम की जो छवि उभारती है वह एक ऐसे आकर्षक युवा की है जो अपने प्रेम में पडी महिलाओं को इसलिए छोडता रहता है कि उसे प्रेम से अधिक प्रिय पैसा और पद है. असल ज़िन्दगी में भी यह हुआ कि टॉम पर उसके परिवार का दबाव पडा कि वह विपन्न जेन को भूल जाए, क्योंकि उस पर पूरे परिवार की ज़िम्मेदारियां हैं. टॉम भी आयरलैण्ड की एक सम्पन्न युवती से नाता जोडने के लिए जेन को भुला देता है. स्पेन्स बलपूर्वक यह कहते हैं कि परिवार से इतर ये दो व्यक्ति, एलिज़ा और टॉम, जेन को सर्वाधिक प्रिय थे और अपनी किशोरावस्था में वह इनसे इतनी अधिक प्रभावित हुई कि इनके व्यक्तित्व और इनसे जुडे प्रसंग उसके लेखन में बार-बार आते हैं.
जेन की इस जीवनी में टॉम और एलिज़ा के अलावा और भी अनेक लोग हैं, जैसे एनेले फ्रॉय, जिन्होंने जेन ऑस्टेन के मनोजगत का निर्माण किया. जीवनीकार इन सब के माध्यम से लेखिका के मनोजगत तक पहुंचने की राह का निर्माण करता है और जीवन के कला में रूपांतरण की प्रक्रिया से हमारा साक्षात्कार कराता है. वह बताता है कि जेन ने अपने परिवार से भी काफी कुछ लिया, “उनकी बातों से तर्क क्षमता, कार्य-कारण सम्बन्ध की पहचान, सम्भावनाओं की अचूक पकड और मानवीय आकांक्षाओं की गहरी समझ!”
जोन यह किताब लिखते हुए जीवनीकार और आलोचक की भूमिकाओं के बीच चहल-कदमी करते रहते हैं. मसलन ‘मेन्सफील्ड पार्क’ की चर्चा करते हुए वे कहते हैं कि हमारा मूल्यबोध हमें एक राह दिखाता है तो मन दूसरी राह पर चलने को कहता है. ‘मेन्सफील्ड पार्क’ इसी मानवीय उलझन की कथा है और लेखिका ने प्रयत्न पूर्वक ऐसा संसार रचा है कि पाठक उपन्यास के चरित्रों को लेकर भी उलझन में पडता है. इसी तरह की टिप्पणी ‘पर्सुएसन’ के लिए भी की गई है. इस तरह की अनेक टिप्पणियां पढने के बाद निश्चय ही हम न केवल जेन ऑस्टेन के जीवन के बारे में अधिक जान पाते हैं, उनके कथा साहित्य से भी हमारा रिश्ता अधिक प्रगाढ होता है.


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Discussed book:
Becoming Jane Austen
By Jon Spence
Published By Continuum
Paperback, 294 pages
Price: £ 8.99

राजस्थान पत्रिका के नगर परिशिष्ट जस्ट जयपुर में मेरे साप्ताहिक कॉलम वर्ल्ड ऑफ बुक्स में 20 मार्च 2008 को प्रकाशित.








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