एक छोटे-से देश
किर्गिस्तान के राष्ट्रपति की सबसे छोटी बेटी आलिया शागयीवा की सोशल मीडिया पर
सार्वजनिक हुई एक तस्वीर से पूरी दुनिया में बहुत सारे लोग परेशान और उत्तेजित हैं. इस तस्वीर में आलिया ने सिर्फ एक अण्डरवियर पहन रखी है और वे अपने बेटे को स्तनपान करा रही हैं. आलिया
सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं और प्राय: अपने काम और परिवार की तस्वीरें
पोस्ट करती रहती हैं. लेकिन उनकी इस तस्वीर पर इतनी अधिक प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं
आईं कि उनके माता-पिता यानि राष्ट्रपति अल्माज़बेक आत्मबयेव और उनकी पत्नी राइसा तक
विचलित हो गए. आलिया ने कहा कि “उन्हें यह पसंद नहीं आया. मैं यह बात समझ सकती हूं
क्योंकि उनकी पीढ़ी की तुलना में युवा पीढ़ी कम रूढिवादी है.” खुद आलिया का पक्ष यह था: “जब मैं अपने बच्चे को स्तनपान
कराती हूं तो मुझे लगता है कि यह सबसे अच्छी
चीज़ है जो मैं उसे दे सकती हूं. मेरे लिए अपने बच्चे की ज़रूरतों को पूरा
करना ज़्यादा ज़रूरी है ना कि लोगों की बातों पर ध्यान देना.” इसी के साथ उन्होंने
यह भी कहा कि “मुझे ईश्वर ने जो शरीर दिया है वो अश्लील नहीं है. यह सुंदर शरीर है जो मेरे बेटे की सभी ज़रूरतों को
पूरा करने में सक्षम है,
इसे कामुकता की नज़र से नहीं देखा जाना चाहिए.” हालांकि आलिया इस
तस्वीर को सोशल मीडिया से हटा चुकी हैं, एक पारम्परिक और
रूढिवादी मुस्लिम बहुल देश की इस बोल्ड युवती की तस्वीर ने बहुत सारी बातों को
विमर्श के केंद्र में ला दिया है. इस तस्वीर पर हुए विवाद के साथ ही अमरीकी
पत्रिका ‘टाइम’ के आवरण पर छपी उस
चर्चित तस्वीर को भी याद कर लिया जाए जिसमें लॉस एंजिलस की रहने वाली 26 वर्षीया
लाइन ग्रूमेट नामक एक मां अपने तीन बरस के बेटे को स्तनपान करा रही है, तो इस विमर्श के कुछ अन्य आयाम भी सामने आते हैं.
पहले बात आलिया की. उनके छोटे-से मुल्क किर्गिस्तान
में महिलाएं बेझिझक सार्वजनिक स्थानों पर अपने शिशुओं को स्तनपान कराती देखी जा
सकती हैं, लेकिन सामान्यत: ऐसा करते वक़्त वे अपने शरीर को किसी कपड़े से ढक लेती हैं.
ब्रिटेन सहित कई अन्य देशों में भी यह सामान्य कृत्य बहस का मुद्दा बनता रहा है.
कुछ समय पहले जब वहां के विख्यात क्लारिज होटल के एक रेस्तरां ने शिशु को स्तनपान
कराती हुई एक महिला को अपनी देह ढकने को कहा तो वहां खासा विवाद उठ खड़ा हुआ था.
इसी सिलसिले में यह बात भी याद की जा सकती है कि अफगानिस्तान की बहुत सारी महिलाओं
ने यह कहा है कि वे औरों के सामने अपने शिशुओं को स्तनपान नहीं करा सकती हैं और एक अफगानी स्त्री ने तो
यह भी कहा है कि जब वे अपनी ननद के साथ बाज़ार गईं और उसे अपने शिशु को दूध पिलाना
था तो उन्हें विवश होकर एक दुकान में जाकर कुछ खरीददारी करनी पड़ी तब जाकर वो वहां अपने शिशु को स्तनपान करा सकीं. वहां भी उन्हें
एक बड़े-से स्कार्फ़ से खुद को ढकना पड़ा. लेकिन तुर्की की एक महिला ने सोशल मीडिया
पर यह भी लिखा है कि वे अपने शिशु को फीड करते वक़्त खुद को ढक लेना पसंद करती हैं.
“मैं नहीं चाहती कि मैं जबरन खुद को औरों को दिखाऊं. दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग
हैं जो स्तनों को सेक्स की निगाह से देखते हैं.” इसी बात को सैद्धांतिक जामा
पहनाते हुए टोरण्टो विश्वविद्यालय की वीमन एण्ड जेंडर एक्सपर्ट विक्टोरिया
ताहमासेबी ने इन शब्दों में व्यक्त किया है: “एक पूंजीपति की नज़र से देखें तो जब
तक ब्रेस्ट को कामुक चीज़ बना कर रखा जाएगा, वो फ़ायदे की चीज़ बनी
रहेगी. सार्वजनिक स्थानों में महिलाओं का स्तनपान कराना उन्हें कम सेक्सी बनाता है
और इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जाता है.”
मैंने जिस दूसरे विवाद का ज़िक्र किया उसमें आपत्ति इस बात पर की
गई कि किसी स्त्री का तीन बरस की बड़ी उम्र के बच्चे को स्तनपान कराना उचित नहीं है. खुद उस मां लाइन ग्रूमेट का कहना है
कि उनकी मां ने तो उनके छह वर्ष की होने तक उन्हें अपना दूध पिलाया था. ग्रूमेट इस
कृत्य को सहज-स्वाभाविक मानती हैं और उन्होंने तो अब इस पर लोगों की आपत्तियों का
जवाब तक देना बंद कर दिया है. लेकिन इस तस्वीर और इस पर हुए विवाद ने अमरीका सहित
कई देशों में बच्चों के लालन-पालन के तरीकों पर सार्थक बहस भी शुरु कर दी है. आलिया
की तस्वीर के संदर्भ में विचारणीय यह बात भी है कि क्या एक स्त्री का अपने शिशु को
स्तनपान कराना और ऐसा करते हुए की तस्वीर को किसी सोशल साइट पर साझा करना एक ही
बात है? यही सवाल लाइन ग्रूमेट के कृत्य के संदर्भ में भी उठाया जाना चाहिए. लेकिन
ज़माना तो आत्म प्रचार का है ना!
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक स्तम्भ कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 08 अगस्त, 2017 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.