Tuesday, October 6, 2015

इधर ब्रिटेन में एक सर्वेक्षण किया गया है जिसे इस विषय पर किया गया सबसे ज्यादा विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण बताया जा रहा है. यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन की एक टीम द्वारा किये गए इस सर्वेक्षण में लगभग  पाँच सौ प्रश्नकर्ताओं ने पूरे ब्रिटेन में 16 से 74 बरस की उम्र के  लगभग पन्द्रह हज़ार स्त्री-पुरुषों से  बहुत विस्तार  से बात करते हुए उनके निजी जीवन के बारे में निहायत ही व्यक्तिगत सवाल पूछे.

इस सर्वेक्षण में क्या-क्या पूछा गया इससे अधिक महत्वपूर्ण यह बात है कि  जहां अधिकतर उत्तरदाता निहायत व्यक्तिगत सवालों पर भी बात करने को तुरंत तैयार हो गए, वहीं सिर्फ तीन प्रतिशत से भी कम ने ऐसा करने से इंकार किया. अब ज़रा इसके  सामने यह तथ्य भी देखें कि इन्हीं उत्तरदाताओं में से बीस प्रतिशत अपने वेतन या अपने घर परिवार की सकल आय के बारे में बताने को तैयार नहीं थे. क्या पता, उनमें से कुछ  बेचारों को खुद ही इसकी जानकारी  न हो!

निस्संदेह आप यह जानने को उत्सुक होंगे कि इस सर्वेक्षण में क्या-क्या बातें पता लगीं? इस सर्वेक्षण का उद्देश्य था सेक्स शिक्षा और सेक्सुअल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जानकारी जुटाना. स्वभावत: इस सर्वेक्षण के सवाल भी इसी किस्म के थे. एक सवाल के जवाब में पता चला कि आज एक औसत ब्रितानी स्त्री के चार प्रेमी होते हैं (हाय राम!). लेकिन चौंकिये मत! वहां पुरुष अभी भी कम से कम इस मामले में स्त्री से आगे है. उसकी प्रेमिकाओं की औसत संख्या छह है. लेकिन अब एक विरोधाभास भी देख लीजिए. एक तरफ जहां औसत ब्रितानी स्त्री-पुरुष ने अपने प्रेमी-प्रेमिकाओं की संख्या में वृद्धि की है, वहीं दैहिक सम्पर्क के मामले में वे पीछे लौटे हैं. 1990 में जब इसी किस्म का एक सर्वेक्षण किया गया था तो पाया गया था कि वे महीने में पाँच दफा अंतरंग होते हैं, जबकि इस बार के सर्वेक्षण में यह संख्या घटकर तीन ही रह गई है.

लेकिन हम बात उनके निजी जीवन की नहीं करके यह कर रहे हैं कि किस बेबाकी से वे अपनी बेहद निजी जानकारियां भी सार्वजनिक कर डालते हैं.  एक सर्वेक्षणकर्ता ने भी कहा कि ज्यादातर लोग इण्टरव्यू शुरु होने के बाद इतने उन्मुक्त हो जाते हैं कि वे हमें सब कुछ बताने को तैयार हो जाते हैं. और जैसे इतना ही काफी न हो, उस सर्वेक्षणकर्ता  ने तो यहां तक कह डाला कि इन अंग्रेज़ों को अजनबियों से अपने सेक्स जीवन के बारे में बात करना अच्छा लगता है और वे अपने अफेयर्स के बारे में, अपने पार्टनर्स के बारे में सब कुछ कह डालना चाहते हैं. उनकी ज़ुबान पर लगाम बस एक ही जगह आकर लगती है. जैसे ही आप उनसे उनकी आमदनी के बारे में पूछते हैं, वे चुप हो जाते हैं. सर्वेक्षणकर्ताओं ने बाद में बताया कि उन्होंने पाया कि उनके देश वासी अपने वेतन के बारे में बात करने की तुलना में अपने शयन कक्ष के भीतर की अंतरंग गतिविधियों, अपने अफेयर्स और यहां तक कि अपने यौन रोगों के बारे में भी बात करने को सात गुना अधिक तैयार पाए गए.

ऐसा क्यों है कि जो बात सार्वजनिक नहीं करने की है उसे तो खुलकर बता दिया जाता है, और जिस बात में छिपाने जैसा कुछ भी नहीं है, उसे बताने से परहेज़ किया जाता है? इस बात का विश्लेषण किया डॉ पाम स्पर नामक एक रिलेशनशिप एक्सपर्ट  ने. उनका खयाल है कि ब्रिटेन में पैसों के बारे में बात करना सुरुचिपूर्ण नहीं माना जाता है. लेकिन अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए, और उसे भाषाजाल में लपेटते हुए उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ जहां लोग  अपने प्रेम जीवन के बारे में बात करने के लिए ज़रूरत से ज्यादा उत्सुक हैं, वहीं दूसरी तरफ वे  सच्चाई को लेकर बहुत ज्यादा कृपण  हैं. अगर इससे भी उनकी बात स्पष्ट न होती हो तो बस उनका यह कथन और सुन लीजिए: “कुछ लोग इस बात को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं कि उनका सेक्स जीवन कितना भरापूरा है.” 

इसी बात का एक अन्य कोण से वहीं के एक शिष्टाचार विशेषज्ञ विलियम हानसन ने भी विश्लेषण किया है.  उनका कहना है  कि “हम ब्रिटिश लोग पैसों के बारे में बात करने से घृणा करते हैं. यह विषय इतना गन्दा है कि हमने तै कर लिया है कि हम कभी इस पर बात नहीं करेंगे.” हानसन ने  इसी सिलसिले में एक बात और कही है और कम से कम वह बात तो हम अपने देश और समाज में भी पाते हैं. उन्होंने कहा कि जो “कदीमी अमीर है वे अपनी सम्पदा के बारे में बात करते हुए संकोच बरतते हैं जबकि जो हाल ही में अमीर हुए हैं वे आम तौर पर ज्यादा बेशर्म होते हैं.”  

चलिये, कम से एक एक मामले में तो हम और वे एक जैसे हैं!

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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अन्तर्गत मंगलवार, 06 अक्टोबर, 2015 को छिपाना भी नहीं आता, बताना भी नहीं आता शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.