Tuesday, July 31, 2018

उस अकेले रह रहे आदमी को बचाया जाना बहुत ज़रूरी है!


पिछले दिनों ब्राज़ील की सरकारी एजेंसी फुनाई ने एक जनजाति के अधेड़ लगने वाले व्यक्ति का दुर्लभ वीडियो ज़ारी किया है जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. माना जाता है कि यह शख़्स अमेज़न के जंगलों में 22 बरस से रह रहा है और कदाचित यह अपनी जनजाति का आखिरी जीवित इंसान है. यह आदमी अनेक शोध रिपोर्ट्स और अमरीकी पत्रकार मोण्टे रील की किताब द लास्ट ऑफ द ट्राइब: द एपिक क्वेस्ट टू सेव अ लोन मेन इन द अमेज़नके कारण चर्चा में रह चुका है. पेड़ों की पत्तियों के बीच से लिये गए इस वीडियो में यह मांसल आदमी कुल्हाड़ी से पेड़ काट रहा है और इसमें पक्षियों की आवाज़ें भी सुनाई दे रही हैं. माना जा रहा है कि यह वीडियो सन 2011 का है, हालांकि इस व्यक्ति पर नज़र रखने वाले दल के एक सदस्य का दावा है कि आखिरी बार इसके ज़िंदा होने के प्रमाण मई, 2018 में मिले थे.

इस वीडियो के साथ एक प्रेस नोट भी ज़ारी किया गया है जिसमें बताया गया है कि इस शख़्स की सिर्फ एक धुंधली-सी तस्वीर उपलब्ध है जो 1998 में ब्राज़ील की एक डॉक्यूमेण्ट्री  कोरुम्बियारा के निर्माता ने ली थी. इस व्यक्ति की निगरानी करने वाले दल के समन्वयक आल्टेयर अल्गायर का कहना है कि उनका फाउण्डेशन यह वीडियो ज़ारी नहीं करना चाहता था क्योंकि उस शख़्स से इसको ज़ारी करने की अनुमति नहीं ली जा सकी है. वैसे भी उनके संगठन की नीति यह है कि वह अकेले रह रहे मूल निवासियों से सम्पर्क करने से बचती है क्योंकि अतीत में उस आदमी ने सम्पर्क करने की कोशिश  करने वालों पर तीर चलाकर यह स्पष्ट संदेश दे दिया था कि वह बाहरी लोगों से नहीं  मिलना चाहता है.  लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इसे ज़ारी करने के अपने निर्णय को उचित ठहराया कि ऐसी तस्वीरों से उन लोगों के दर्द की  तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित करने में मदद मिलती है जो बाहरी दुनिया से अपनी दूरी बनाए रखने के लिए निरंतर संघर्षरत हैं. यहीं यह बात भी जानने योग्य है कि फुनाई की टीम सन 1996 से ही इस आदमी की निगरानी कर रही  है. अब भी फुनाई की टीम दूर रहकर ही इसकी निगरानी करती है. उसने कम से कम 57 यात्राएं  और चालीस बार उसे बचाने के प्रयत्न  किये हैं. फुनाई की टीम हर दूसरे माह एक यात्रा कर इस बात की पुष्टि करती है कि वह व्यक्ति जीवित है. लेकिन फुनाई ने अब यह महसूस किया है कि ब्राज़ील के उत्तर पश्चिमी राज्य रोण्डोनिया के जिस इलाके में यह आदमी रहता है उसे प्रतिबंधित क्षेत्र बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी हो गया था कि एक वीडियो ज़ारी कर पूरी दुनिया को बताया जाए कि वह आदमी अभी भी जीवित है. आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन सर्वाइवल इण्टरनेशनल की रिसर्च और एडवोकेसी निदेशक फ़ियोना वाट्सन का कहना है कि इस वीडियो को एक राजनीतिक कारण से भी ज़ारी करना पड़ा है. उन्हें लगता है कि ब्राज़ील की सरकार में कृषि व्यवसाय करने वालों का प्रभुत्व है और उनके दबाव में न केवल फुनाई का बजट कम कर दिया गया है, वहां के मूल निवासियों के अधिकारों पर भी कुठाराघात किये जा रहे हैं.  रोण्डोनिया का यह इलाका लगभग चार हज़ार हेक्टेयर में फैला हुआ है और खेतों आदि से घिरा हुआ है.

वैसे तो सारी ही दुनिया में आदिवासियों को उनकी ज़मीन से बेदखल करने का क्रूर खेल ज़ारी है लेकिन ब्राज़ील में सत्तर और अस्सी के दशक में इस रोण्डोनिया  इलाके में सड़क बनाने के सिलसिले में इस जनजाति के अधिकांश लोगों को तबाह कर दिया गया. किसान और अवैध लकड़ी काटने वालों  की बुरी नज़र आज भी उनकी ज़मीन पर है. पिछले ही बरस वहां ज़मीन के लिए हुए संघर्षों में कम से कम 71 जानें जा चुकी हैं.  लेकिन इस सबके बावज़ूद सर्वाइवल इण्टरनेशनल के अनुसार, ब्राज़ील के अमेज़न रेन फोरेस्ट में दुनिया के किसी भी दूसरे  इलाके की तुलना में ऐसे आदिवासी अधिक रहते हैं जिनसे अब तक सम्पर्क नहीं किया जा सका है. इन जनजातियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है इसलिए भी इन्हें बाहरी दुनिया के  लोगों से बचाए रखना बहुत ज़रूरी है. इस व्यक्ति के बारे में फुनाई के प्रादेशिक संयोजक अल्टेयर अल्गायर का यह कथन बहुत महत्वपूर्ण है कि “यह व्यक्ति जिसे हम जानते तक नहीं हैं, अपने निकटस्थ  लोगों और अपनी सांस्कृतिक जीवन शैली सहित सब कुछ गंवा चुकने के बाद भी जंगल में अकेला रह कर यह साबित कर रहा है कि मुख्यधारा के समाज से जुड़े बग़ैर भी ज़िंदा रहा जा सकता है. मुझे तो लगता है कि अगर उसने बाहरी समाज से कोई सम्पर्क बनाया होता तो तब वो जैसा होता, उससे आज कहीं ज़्यादा बेहतर है.”

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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ  इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 31 जुलाई, 2018 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.