जीवन में बहुत बार ऐसा कुछ
घटित हो जाता है जिसके बारे में किसी ने कभी सोचा भी नहीं होता है. लेकिन जब वो
घटित हो चुका होता है तो उसकी स्मृतियां भावनाओं का पूरा इंद्रधनुष रच देती हैं. अब देखिये ना, अमरीका के इस युगल
के जीवन में यकायक जो घटित हो गया उसे भला कभी वे भूल सकेंगे?
मैं बात कर रहा हूं मिनेसोटा
की बत्तीस वर्षीया क्रिस्टा बोलां और उनके दोस्त उनचालीस वर्षीय जेरेमी बुरासा की.
कोई पांच बरस पहले क्रिस्टा बोलां की सगाई जेरेमी बुरासा के साथ हुई थी. और अब वे
शादी कर लेना चाहते थे. लेकिन जब भी वे
इसकी योजना बनाने लगते कोई न कोई अड़चन आ
जाती. इस बार भी ऐसा ही हुआ. सब कुछ तै हो गया, लेकिन ऐन वक़्त पर बिल्ली
रास्ता काट गई. जो समारोह स्थल उन्होंने अपने विवाह के लिए बुक किया था, वह अचानक अनुपलब्ध
हो गया. लेकिन इस बार वे भी ठाने बैठे थे कि शादी तो पूर्व निर्धारित तारीख को ही
करेंगे. जब और कोई जगह उन्हें नहीं मिल पाई तो अग्नि शमन दस्ते के कर्मचारी और
दूल्हे मियां जेरेमी ने सोचा कि क्यों न अपने अग्नि शमन केंद्र को ही विवाह स्थल
बना लिया जाए. इस शुभ काम के लिए अफसरों की अनुमति भी मिल गई! अब वैसे तो अग्नि
शमन जैसी इमरजेंसी सेवा वालों को हमेशा ही इस बात का खतरा बना रहता है कि जाने कब
बुलावा आ जाए,
जेरेमी
थोड़ा आश्वस्त यह सोचकर था कि एक तो उसके इलाके में बहुत ज़्यादा रिहायश नहीं है, दूसरे वहां आग
लगने की घटनाएं ज़्यादा नहीं होती हैं और तीसरे उस दिन उसकी ड्यूटी भी नहीं है.
तो शादी के रस्मो-रिवाज़
शुरु हुए,
हंसी-खुशी
के माहौल में सब कुछ भली भांति सम्पन्न होता जा रहा था. नव विवाहित जोड़ा फोटो खिंचवाने की तैयारी में था कि अचानक उस अग्नि शमन केंद्र के सायरन चीख उठे.
पास के एक घर में आग लग गई थी. बुरासा ने अपनी नई नवेली दुल्हन की तरफ देखा, और उसने भी तुरंत जैसे
आंखों ही आंखों में जवाब दे दिया, “नहीं. तुम्हें नहीं जाना है.” शायद उसे भी लगा हो कि भला यह भी कोई वक़्त है आग बुझाने के लिए जाने
का! कुछ ही पल बीते होंगे कि घटनास्थल से एक बार फिर बुलावा आया. आग काबू में नहीं
आ रही थी और वहां और अधिक लोगों की सख़्त ज़रूरत थी. बुरासा को लगा जैसे उसके साथी
उसे ही पुकार रहे हैं. एक बार फिर नई नवेली पत्नी से उसकी आंखें मिलीं, और इस बार जैसे
पत्नी भी मना नहीं कर सकी. इशारों ही इशारों में उसने कहा, “जाओ. तुम्हारे साथी
तुम्हें पुकार रहे हैं, जाओ!”
बिना एक भी पल गंवाए
बुरासा ने अपनी चमकती कमीज़ उतार कर कामकाजी ड्रेस धारण की और उछल कर अपने आग
बुझाने वाले वाहन पर जा सवार हुआ. जब वह
अपना वाहन उस भवन से बाहर निकाल रहा था, विवाह में शामिल होने आए तमाम मेहमान
कतारबद्ध खड़े होकर अपनी शुभ कामनाओं के साथ उसे विदा कर रहे थे. क्रिस्टा सोच रही
थी,
इतनी
फुर्ती तो मैंने कभी नहीं देखी बुरासा में! और जब वह वहां से चला गया, क्रिस्टा बोलां, जो अब तक क्रिस्टा
बुरासा बन चुकी थी अनायास ही उन त्रासदियों को याद करने लगी जो हाल में उसके जीवन
में घटित हुई थीं. एक भयानक अग्नि काण्ड में उसकी बहन का घर जल कर खाक हो गया था, और जैसे इतना ही
काफ़ी न हो,
उस
आग ने उसके ग्यारह और नौ बरस के भतीजे भतीजियों को भी लील लिया था. यह कोई कम भयानक
हादसा न था. अपने पांच बरस के प्रणय काल
में वह यह भी जान चुकी थी कि जेरेमी का काम कितनी जोखिम भरा है. जेरेमी प्राय: उससे अपने कामकाज के बारे में
बातें किया करता था. न जाने कितनी आशंकाएं उसे व्याकुल किये दे रही थीं. वह मन ही
मन प्रार्थना कर रही थी कि उसका जेरेमी जल्दी से जल्दी और सुरक्षित लौट आए.
और उधर जेरेमी जब घटनास्थल
पर पहुंचा तो उसने पाया कि पूरा घर आग की लपटों में घिरा हुआ है, हालांकि वहां रहने
वालों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका था. दो घण्टों की कड़ी मेहनत के बाद उस आग
पर भी काबू पा लिया गया. और तब तुरंत ही उसके अधिकारी ने उसे कहा कि वो अपने विवाह
स्थल पर लौट जाए. जैसे ही बहुत थक कर लेकिन संतुष्ट मन से वो वापस अग्नि शमन केंद्र स्थित अपने विवाह स्थल पर
पहुंचा,
उसका
इंतज़ार कर रहे मेहमानों ने खड़े होकर अभिवादन करते हुए उसका स्वागत किया. पहले वो
समारोह का केंद्र बिंदु था, अब हीरो भी बन चुका था.
पार्टी नए जोश-ओ-खरोश के
साथ फिर शुरु हो चुकी थी.
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक स्तम्भ कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 02 अक्टोबर, 2018 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.