Tuesday, February 5, 2019

उन्हें अपनी शेष ज़िंदगी जेल में गुज़ारना रास आ रहा है!


आम तौर पर जापान को कानून का पालन करने वालों का देश माना जाता है लेकिन इधर वहां कुछ अजीब ही घटित हो रहा है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले बीस बरसों से वहां अपराध करने वाले बुज़ुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है. 1997 में जहां पैंसठ पार के अपराधी बीस में से एक हुआ करते थे,  अब वे बीस में से चार होने लगे हैं. ग़ौर तलब है वहां बुज़ुर्गों की संख्या इसी अनुपात में नहीं बढ़ी है. यही नहीं, ये बुज़ुर्ग बार-बार अपराध करने लगे हैं. सन 2016 में पैंसठ पार के जिन ढाई हज़ार बुज़ुर्गों को सज़ा हुई उनमें से कम से कम एक तिहाई ऐसे थे जो पांच  बार पहले भी सज़ा पा चुके थे.

इस चौंकाने वाली हक़ीक़त के पीछे का सच यह है कि जापान में बुज़ुर्गों को जो पेंशन मिलती है उसे वे अपने जीवन यापन के लिए अपर्याप्त पाते हैं  और दूसरी तरफ जापानी कानून व्यवस्था इतनी मज़बूत है कि छोटे-से छोटे अपराध के लिए भी काफी सज़ा देती है. तीसरी बात यह कि जापानी जेलों में कैदियों को न केवल मुफ्त रहने-खाने की सुविधा मिलती है, वहां की सरकार इस बात का भी बराबर ध्यान रखती है कि जेलों में किसी को भी, जिसमें बुज़ुर्ग भी शामिल हैं, कोई असुविधा न हो. ऐसे में अपर्याप्त आर्थिक साधनों वाले बुज़ुर्गों को भूखे मरने की बजाय जेल में जाकर ज़िंदगी बिताना रास आने लगा है. उनसठ वर्षीय तोशियो तकाता का कहना है कि जैसे ही उसके पास के पैसे ख़त्म हुए, उसने सड़क पर पड़ी किसी की साइकिल उठाई और उसे लेकर पुलिस स्टेशन जा पहुंचा. वहां जाकर उसने कहा कि मैंने यह साइकिल  चुराई है. कानूनी कार्यवाही  के बाद उसे एक साल की कैद की सज़ा सुना दी गई. एक साल बाद जब वह जेल से छूटा तो फिर भूख उसके सामने खड़ी थी. इस बार उसने एक चाकू उठाया और एक पार्क में बैठी कुछ महिलाओं के सामने जाकर उसे लहरा दिया. किसी को नुकसान  पहुंचाने का उसका कोई इरादा नहीं था. एक स्त्री उसे देखकर डर गई, उसने पुलिस को बुला लिया और तोशियो तकाता का मनचाहा हो गया. उसे फिर जेल भेज दिया गया. एक मज़े की बात यह और है कि जापान में कोई जेल चला जाए तो भी उसकी पेंशन ज़ारी रहती है और उसके खाते में जमा होती रहती है. पिछले आठ में से चार बरस इस तरह जेल में बिताकर अब तोशियो कुछ समय के लिए आर्थिक चिंताओं से मुक्त हो गया है.

यहीं यह जानना भी रोचक होगा कि जापान अपने देश को अपराध मुक्त रखने के बारे में इतना अधिक सजग है कि छोटे से छोटे अपराध के लिए पर्याप्त से अधिक सज़ा देता है, भले ही इससे सरकार  पर कितना ही अधिक आर्थिक भार क्यों न पड़े. एक उदाहरण से इस बात को समझा जा सकता है. वहां अगर कोई दो सौ येन (भारतीय मुद्रा में करीब एक सौ तीस रुपये) का सेण्डविच चुराए तो उसे दो साल की जेल होती है और इस पर सरकार लगभग साढे चौपन लाख रुपये का खर्च करती है. जापानी समाज में इस बात पर भी गहन चर्चा होने लगी है कि क्यों न पेंशन राशि को बढ़ाकर इस अपराध वृत्ति और इस पर होने वाले व्यय पर नियंत्रण पाया जाए.

लेकिन इन बुज़ुर्गों के अपराध की राह पर चल निकलने के पीछे केवल आर्थिक कारण ही नहीं हैं. एक अन्य बड़ा कारण वहां की सामाजिक व्यवस्था में आ रहे बदलाव के कारण बुज़ुर्गों का बढ़ता जा रहा अकेलापन भी है. अनेक कारणों से नई पीढ़ी अपने मां-बाप को अपने साथ नहीं रख पा रही है और अगर ढलती  उम्र में कोई बुज़ुर्ग अपने जीवन साथी को भी खो बैठे तो अकेलेपन का त्रास उसके लिए असहनीय हो उठता है. समाज में अन्यथा भी एकाकीपन बढ़ता जा रहा है. सामाजिक सम्बल व्यवस्था लगातार छीजती  जा रही  है. किसी को किसी से कोई मतलब नहीं रह गया है. ऐसे में कई बुज़ुर्गों को जेल में मिलने वाला साहचर्य भी ललचाता है. सुखद बात यह है कि जापान की सरकार जेल व्यवस्था में लगातार सुधार कर और अधिक कर्मचारियों की भर्ती कर यह सुनिश्चित करती जा रही है कि वहां इन बुज़ुर्गों को कोई कष्ट न हो. ये प्रयास भी बहुत ज़ोर शोर से किये जा रहे हैं कि बुज़ुर्ग बग़ैर अपराध की राह पर गए अपने समाज में ही बाकी ज़िंदगी गुज़ारने के बारे में  सोचें.  लेकिन इसके बावज़ूद बहुत सारे बुज़ुर्ग जीवन के कष्टों से हार मान कर आत्महत्या तक कर लेते हैं.

जापान की ये स्थितियां हमें भी बहुत कुछ सोचने को मज़बूर करती हैं. इसलिए कि कमोबेश हमारे यहां भी बुज़ुर्गों की हालत ऐसी ही है. ऊपर से यह बात और कि हमारे पास वैसी मानवीय और संवेदनशील जेल व्यवस्था भी नहीं है!

●●●
जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक स्तम्भ कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 05 फरवरी, 2019 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ. 

1 comment:

Chetan Raygor said...

Very nice article. I like your writing style. I am also a blogger. I always admire you. You are my idol. I have a post of my blog can you check this : Chennai super kings team