अपने देश में हम आए दिन किसी न किसी
मुद्दे पर कुछ लोगों की भावनाएं आहत होने के बारे में पढ़ते सुनते रहते हैं. कभी
कोई लेख, तो कभी कोई गाना तो कभी
कोई फिल्म किसी न किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचा देते हैं और उसके बाद कभी धरना, तो कभी प्रदर्शन, कभी बंद तो कभी
तोड़ फोड़ का सिलसिला चल निकलता है. हमें लगता था कि हमारी ही भावनाएं इतनी नाज़ुक
हैं कि ज़रा-सी बात पर आहत हो जाती हैं, अब जब सुदूर जापान से वहां के निवासियों की
भावनाएं आहत खोने की ख़बर आई है तो लगता है कि भावनाएं और जगह
भी इतनी ही नाज़ुक होती हैं.
जापानियों की भावनाएं आहत
हुई हैं एक प्रख्यात अमरीकी अभिनेत्री, मॉडल, टीवी स्टार, और व्यवसायी किम
कार्दशियन की वजह से. किम को उनके एक रियलिटी शो कीपिंग अप विद
द कार्दशियनस के
लिए ख़ास तौर पर जाना जाता है. किम ने हाल में भीतर पहनने वाले कपड़ों की एक
बड़ी शृंखला लॉंच की है. जिस लेबल के अंतर्गत उन्होंने यह शृंखला लॉंच की है उसका
नाम उन्होंने रखा है किमोनो. और यही नाम फसाद की जड़ है. असल में किमोनो एक
जापानी परिधान का नाम है जिसे पारम्परिक रूप से औपचारिक अवसरों पर पहना जाता है.
किमोनो एक लम्बा-सा चोगेनुमा परिधान होता है. इसकी आस्तीनें चौड़ी होती हैं और
इसे एक कमरबंद से बांधा जाता है. इसका
प्रयोग प्राय: बतौर जैकेट किया जाता है. अब क्योंकि यह पारम्परिक जापानी परिधान है, बहुत सारे जापानियों को इस बात से सख़्त आपत्ति है कि एक
पारम्परिक औपचारिक परिधान के नाम से भीतर पहनने वाले वस्त्र क्यों बेचे जा रहे
हैं! अनेक जापानियों ने किम के इस नामकरण को उनके अज्ञान का परिचायक बताते हुए
अनुपयुक्त बल्कि सांस्कृतिक रूप से अपमानजनक तक कह दिया है.
युका
ओहिश नामक एक महिला ने अपनी आपत्ति इस तरह व्यक्त की है: "अपने उत्पाद/कम्पनी
को एक जापानी नाम देना आपके लिए आकर्षक हो सकता है, लेकिन
हम इस बात से बहुत आहत महसूस कर रहे हैं कि इस शब्द का प्रयोग एक ऐसे उत्पाद के
लिए किया जा रहा है जिसका उससे कोई लेना-देना ही नहीं है. इस तरह हमारी संस्कृति
को ठेस पहुंचाई जा रही है." युको कातो नामक एक जापानी पत्रकार ने लिखा कि
"आपके अण्डरवियर बहुत उम्दा हैं, लेकिन
पारम्परिक जापानी परिधानों से लगाव रखने वाली मुझ जैसी जापानी स्त्री के के लिए इस
नामकरण का औचित्य समझ से परे है. कृपया इस नामकरण पर पुनर्विचार करें." इस
पत्रकार ने अपनी आपत्ति को और स्पष्ट करते हुए आगे लिखा है, "कुल मिलाकर बात यह है कि आपने अण्डरवियरों की एक शृंखला तैयार
की है और उसे 'पारम्परिक जापानी परिधान' का नाम देकर बेच रही
हैं." एक अन्य जापानी ने और उग्र होते हुए लिखा है, "जापानी
संस्कृति की हत्या करने के लिए आपका आभार. लेकिन मेरी संस्कृति आपके हाथों का
खिलौना नहीं है. क्या आपके मन में उन लोगों के प्रति तनिक भी सम्मान का भाव नहीं है जो आपके परिवार के नहीं
हैं? आपने इस उत्पाद को तैयार करने में पूरे पंद्रह
साल लगाए हैं लेकिन इतने बरसों में आप एक भी सांस्कृतिक सलाहकार नहीं तलाश
पाईं."
इन और इस
तरह की अनेक आपत्तियों का जवाब देते हुए किम ने एक बयान ज़ारी कर कहा है कि उनकी
मंशा ऐसे किसी परिधान को डिज़ाइन या ज़ारी करने की नहीं है जो किसी भी तरह किसी
पारम्परिक परिधान से मिलता-जुलता हो या उसका अनादर करने वाला हो. उन्होंने यह भी कहा
है कि उनके मन में जापानी संस्कृति में विद्यमान किमोनो के महत्व के प्रति गहरा
सम्मान है. लेकिन उन्होंने यह भी कह दिया कि अपने परिधानों की शृंखला का नाम बदलने
का उनका कोई इरादा नहीं है. वैसे, जहां
जापानी मूल के लोग किम की इस परिधान शृंखला के नामकरण को लेकर आहत और आक्रोशित हैं
वहीं ऐसे लोग भी हैं जो खुलकर और सुविचारित तर्कों के साथ किम का समर्थन कर रहे हैं. ऐसे लोगों में से एक
हैं अमरीकी अभिनेत्री और गायिका टिया कैरेर. टिया ने लिखा है, "मैं एक फिलिपिनो हूं और मैं किमोनो पहनती हूं. मुझे यह समझ में
नहीं आता कि मैं किमोनो क्यों नहीं पहन सकती? मैं
जापानी कपड़े पहनती हूं, चीनी
कपड़े पहनती हूं. क्या मुझे केवल फिलिपिनो वेशभूषा तक ही सीमित रहना चाहिए? हम
एक बहु-सांस्कृतिक, बहु-प्रजातीय दुनिया में
जी रहे हैं. इसलिए यह बात मेरी समझ से परे
है. मैंने किम को किमोनो पहने देखा है. वो अगर अपनी कम्पनी का नाम किमोनो रखती है
तो इसमें क्या ग़लत है?" टिया ने
बहुत तल्ख़ होते हुए पूछा है कि आखिर हम कहां जा रहे हैं? क्या
हमें हर बात के लिए सांस्कृतिक पुलिस से इजाज़त लेनी होगी?"
उनके
सवाल में दम तो है!
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे
साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, दिनांक 02 जुलाई, 2019 को इसी शीर्षक
से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.
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