पिछले दिनों कुछ चड्डियों के विज्ञापन (कु)चर्चा में रहे थे. कारण जाहिर है, अश्लीलता था. अब अश्लीलता का मामला ज़रा टेढा होता है. जो शुद्ध सात्विक लोग हैं वे बाबा तुलसीदास को भी याद कर सकते हैं – जाकि रही भावना जैसी! यानि अश्लीलता किसी तस्वीर या सन्देश में नहीं होती, ग्रहण करने वाले के मन में होती है. वे विज्ञापन तो बडे मासूम थे, अब अगर आपके ही मन में गन्दगी हो तो कोई क्या करे?
इधर ऐसे ही दो और विज्ञापन देखने को मिले हैं. लगता है विज्ञापन दाताओं का कौशल चड्डी से हटकर अब मोबाइल फोन तक पहुंच गया है.
पहले ज़रा विज्ञापन की बात कर लूं. पहले विज्ञापन में एक मर्द बनियान पहन कर सोया हुआ है, उसके पास एक कुछ उदास-सी लडकी बैठी है, शमीज़ जैसा कुछ पहने हुए और वह मानो कह रही है, “विश युअर बैटरी हेड मोर स्टैमिना?’ यानि काश! तुम्हारी बैटरी में और क्षमता/ताकत होती? और इस तस्वीर के पास ही विज्ञापित मोबाइल हैण्डसेट की तस्वीर है जिसके नीचे बारीक अक्षरों में, जो करीब-करीब अपठनीय हैं, इस हैण्डसेट के अन्य गुणों के अलावा ‘स्टैमिना बैटरी’ भी लिखा है. यानि इसकी बैटरी स्टैमिना वाली है. अब, विज्ञापन दाता को बैटरी का स्टैमिना बताने के लिए एक सोये हुए पुरुष और जागी हुई उदास युवती की तस्वीर देनी पडी है. क्या दोनों में कोई रिश्ता बनता है? क्या पति के फोन की बैटरी बहुत जल्दी चुक गई और इसलिए वह सो गया, और स्त्री उदास है? या यहां किसी और बैटरी की तरफ संकेत है, जो जल्दी चुक गई, मर्द सो गया, और स्त्री उदास है? निश्चय ही विज्ञापन देने वालों ने इस युगल की तस्वीर देकर मोबाइल की बैटरी जल्दी चुक जाने की पीडा व्यक्त की है. सही भी है. किसी से बात कर रहे होंगे और बैटरी खत्म हो गई. पुरुष बेचारा शर्मिन्दा होकर सो गया. लडकी उदास बैठी है. उदास न हो तो क्या करे? काश बैटरी में ज़्यादा दम होता. कहिये, आपको भी यही समझ आया न?
अब इसी श्रंखला का दूसरा विज्ञापन. दो युवतियां. आंखों में एक खास तरह की चमक, जिसे चाहें तो ‘सेक्सी’ कह सकते हैं, क्लीवेज दिखाती हुई. कह रही हैं, “कैन यू हैण्डल बोथ?’ यानि क्या तुम (हम) दोनों को सम्भाल सकते हो? अगर आप इस कथन का कोई खास मतलब निकालते हैं तो खोट आपके मन में है. इसलिए कि पास ही एक मोबाइल हैण्डसेट की तस्वीर है, और उसके नीचे, सूक्ष्म अक्षरों में बता दिया गया है कि यह ‘डुएल सिम’ वाला है, यानि यह दो सिम हैण्डल कर सकता है. अब अगर इस लिखावट को पढने में मुझे ज़ोर पड रहा है तो यह मेरी अंखों (या उम्र) का कसूर है. विज्ञापन देने वाले की नीयत तो एकदम पाक साफ है.
लेकिन क्या करूं? मेरे लिए यह समझना थोडा कठिन है कि ये उत्तेजक आंखें, युवा देह जब कह रही हैं कि ‘कैन यू हैण्डल बोथ” तो ये मोबाइल फोन की भूमिका अदा कर रही हैं. इन युवतियों को देख कर मेरे मन में तो किसी भी तरह दोहरी सिम वाली मोबाइल का खयाल नहीं आता. आपके मन में आता है? अगर आता है तो आप के मन में खोट नहीं है. मैं स्वीकार करता हूं कि मेरे मन में खोट है.
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3 comments:
ham bhi khot vaale nikle.. :(
हम तो पहले से ही पतित हैं । बिना ईस्माईली के ।
अब लगने लगा है पूरा मन ही खोटा है..खोट की तो क्या कहें.
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