Monday, May 18, 2009
भारत: नई सुपरपॉवर
अपनी बहु-चर्चित किताब पोस्ट अमरीकन वर्ल्ड में फरीद ज़कारिया ने भविष्यवाणी की थी कि आने वाले वर्षों में अमरीका महाशक्ति नहीं रह जाएगा. और अब अपनी ताज़ा किताब इण्डिया एक्सप्रेस: द फ्यूचर ऑफ अ न्यू सुपरपॉवर में डेनियल लाक कह रहे हैं कि एशिया का अमरीका बनने की संभावनाएं भारत में हैं. कनाडा निवासी डेनियल लॉक लगभग दो दशक तक भारत और निकटवर्ती क्षेत्रों में बीबीसी के लिए काम कर चुके हैं और इस पूरे क्षेत्र से भली-भांति परिचित हैं. अपनी इस किताब में वे इतिहास, आंकड़ों, साक्षात्कारों और निजी अनुभवों के मेल से भारत की एक ऐसी उजली छवि रचते हैं जो काफी हद तक विश्वसनीय है. किताब की शुरुआत वे चेन्नई के एक कपड़े इस्तरी करने वाले राम नामक निम्न वर्गीय व्यक्ति के वृतांत से करते हैं जो अपने अमीर ग्राहकों से कर्ज़ा लेकर अपने बेटे को पढ़ाता है और इस तरह आर्थिक प्रगति की सीढियां चढता है. लाक इस इस्तरी वाले को समकालीन भारत के एक प्रतीक की तरह पेश करते हैं, जो पुरानी जंजीरों, जातिवाद और पिछड़ेपन से मुक्त हो कर अपने भविष्य का निर्माण कर रहा है.
डेनियल लाक मानते हैं कि आज़ादी के बाद से प्रजातंत्र का सतत निर्वाह करके भारत ने इस पूरे इलाके में खुद को बेजोड़ सिद्ध कर दिया है. उनका यह भी मानना है कि गठबंधन की राजनीति भारतीय प्रजातंत्र की परिपक्वता की सूचक है. उन्हें यह अच्छा लगा है कि गठबन्धन की राजनीति ने केन्द्र की ताकत में कमी की है. लाक याद दिलाते हैं कि भारत में 1996 से ही लगभग लगातार गठबन्धन सरकारें रही हैं और इन्हीं के दौर में महत्वपूर्ण आर्थिक बदलाव हुए हैं. आर्थिक मुद्दों की चर्चा करते हुए वे यह बताना भी नहीं भूलते कि हाल ही में अमरीका में बहुत सारी बड़ी वित्तीय संस्थाओं के चरमरा जाने से भारत, चीन, ब्रज़ील और रूस की अहमियत बढ़ी है.
प्रजातंत्र की वजह से वे इस इलाके में भारत को चीन की तुलना में बेहतर मानते हैं. उन्हें इस बात की खुशी है कि प्रजातांत्रिक भारत उन कई अतियों से बचा रह सका है जिनकी शिकार चीन की जनता हुई है. वे चीन से भारत की कोई तुलना इसलिए भी उचित नहीं मानते कि चीन की 94% जनता तो एक ही भाषा-भाषी है. लाक भारत की विविधता को इसकी बड़ी पूंजी मानते हैं. उन के अनुसार, भारत की जनता अपनी विविधता की वजह से व्यापक वैश्विक परिदृश्य में भी बेहतर स्थान पाने की हक़दार है क्योंकि पूरी दुनिया भी वैविध्यपूर्ण ही है और भारतीय जनता उसकी जटिलताओं को ज़्यादा अच्छी तरह समझ और उनके साथ निर्वाह कर सकती है. इसी विविधता की वजह से वे भारत की तुलना अमरीका से करना पसन्द करते हैं, जहां, उनके अनुसार, दुनिया का हर धर्म और विश्वास मौज़ूद है.
जब लाक भारत को एक महाशक्ति के रूप में देखते और पेश करते हैं तो यह बात वे सैन्य दृष्टि से नहीं कहते. वे भारत को पुराने अमरीका और रूस की तरह की सैन्य महाशक्ति के रूप में नहीं बल्कि एक ऐसी महाशक्ति के रूप में देखते और पेश करते हैं जिसके पास अपने उदार मूल्य और दुनिया की बेहतरी की योजनाएं हैं और जो एड्स और पर्यावरण जैसे प्रश्नों को सुलझाने में जुटा है.
ऐसा नहीं है कि लाक का नज़रिया सिर्फ सकारात्मक है. भारत में बहुत सारी कमियां भी उन्हें नज़र आई हैं. गरीबी, भ्रष्टाचार, बढते शहरीकरण, विभिन्न धर्मों, जातियों और स्त्री-पुरुष के बीच की भारी असमानता आदि को वे भारत की प्रगति के राह की सबसे बड़ी अड़चनों के रूप में देखते हैं. लाक को भारत के पड़ोसी देश भी इसके लिए एक समस्या नज़र आते हैं लेकिन इसके लिए वे चाहते हैं कि भारत बेहतर डिप्लोमेसी का इस्तेमाल करे और इन देशों के साथ अपना बर्ताव सुधारे.
डेनियल लाक के पास भारत की उन्नति के लिए एक ख़ास नुस्खा यह है कि भारत को शासन का संघीय ढांचा अपना लेना चाहिए. वे चाहते हैं कि भारत में भी अमरीका की तरह लगभग स्वतंत्र राज्य सरकारें हों जो टैक्स वगैरह लगाकर खुद अपने वित्तीय संसाधन जुटा सके. केन्द्र के पास तो सिर्फ बड़े मुद्दे जैसे रक्षा, आर्थिक नीतियां, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, स्वास्थ्य, शिक्षा वगैरह रहने चाहिए. अपनी बात को पुष्ट करने के लिए वे अमरीका के अलावा कनाडा, स्विटज़रलैण्ड और जर्मनी का उदाहरण देते हैं जिन्होंने संघीय ढांचा अपना कर खुद को आगे बढाया है.
डेनियल लाक अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में बेपनाह संघर्ष करने वाली भारत की जनता को इसकी सबसे बड़ी सम्पदा मानते हैं. मैं उन्हीं को उद्धृत कर रहा हूं: “एक भारतीय होने का अर्थ है दुनिया का सबसे बड़ा समस्या हल करने वाला होना, क्योंकि हर रोज़ आपको बेहद मुश्किल ज़िन्दगी से जूझना पड़ता है. बच्चों की शिक्षा से लगाकर चिकित्सा सुविधा और जीवन की आधारभूत ज़रूरतों तक, यानि अपने दैनिक जीवन के तमाम क्षेत्रों में गतिशील रहने के लिए आपको अत्यधिक चरित्रिक शक्ति की आवश्यकता होती है.” डेनियल लाक को यह शक्ति भारतीय जनता में नज़र आई है और इसीलिए उन्हें लगता है कि 2040 तक भारत एक महाशक्ति के रूप में पहचाना जाने लगेगा.
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Discussed book:
INDIA EXPRESS: The future of the New Superpower
By Daniel Lak
Published by Palgrave Macmillan
272 pages, Hardcover
US $ 26.95
राजस्थान पत्रिका के रविवारीय परिशिष्ट में प्रकाशित मेरे पाक्षिक कॉलम किताबों की दुनिया के अंतर्गत रविवार, 17 मई, 2009 को प्रकाशित.
लेबल:
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2 comments:
इस दिशा में बढ़ते कदम दिखने भी लगे हैं. आभार इस पुस्तक के अंश लाने के लिए.
आपकी सराहना मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. धन्यवाद.
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