सितम्बर, 2007. सेण्ट जॉर्ज का खचाखच भरा एक न्यायालय कक्ष. बहुविवाही पंथ के मुखिया वारेन जेफ्स के खिलाफ एलिसा वॉल की दिल दहला देने वाली गवाही कि किस तरह जेफ्स ने उसे 14 बरस की कच्ची उम्र में अपने चचेरे भाई से शादी के लिए बाध्य किया. एलिसा वॉल की इस मर्मांतक गवाही को जेफ्स के खिलाफ सबसे अधिक प्रभावी प्रमाण माना गया. इसी गवाही ने दुनिया के सामने यह उजागर किया कि किस तरह और किस हद तक जाकर जेफ्स अपने इस गुप्त पंथ की औरतों को नियंत्रित करता था.
अब, एलिसा वॉल ने लिज़ा पुलिट्ज़र के साथ मिलकर अपनी ताज़ा किताब स्टोलन इन्नोसेन्स: माय स्टोरी ऑफ ग्रोइंग अप इन अ पॉलीगेमस सेक्ट, बिकमिंग अ टीन एज ब्राइड, एण्ड ब्रेकिंग फ्री ऑफ वारेन जेफ्स में एक करीब-करीब अविश्वसनीय लेकिन प्रेरक वृत्तांत के माध्यम से यह बताया है कि कैसे वह फण्डामेंटलिस्ट चर्च ऑफ लेटर डे सेंट्स (FLDS) के चंगुल से मुक्त हो सकी और कैसे अमरीका के सर्वाधिक कुख्यात अपराधियों में से एक, वारेन जेफ्स, को सज़ा दिलवा सकी. एफ एल डी एस की भीतरी ज़िन्दगी को एक बालिका की मासूम नज़रों से देखते-परखते हुए एलिसा अपनी ऊबड-खाबड युवावस्था का मार्मिक वर्णन तो करती ही है, अतीत में जाकर यह भी बताती है कि कैसे उसके परिवार का अशांत अतीत उसके दृढ निश्चय से टकराया और यह तै कर लिया गया कि उस जैसी ‘ज़िद्दी’ लडकी को केवल शादी के ज़रिये ही नियंत्रित किया जा सकता है. यह सब बयान करते हुए एलिसा यह भी बताती है कि जेफ्स का चर्च यानि अपने पंथ पर कितना गहरा असर था और कैसे उसने अपने इस असर का दुरुपयोग करके चर्च के पहले से कट्टर विचारों को नई खतरनाक दिशाओं में मोड दिया.
एलिसा अपनी शादी के माहौल का बडा सजीव चित्रण करती है कि कैसे उसकी मां लगभग ज़बर्दस्ती उससे इस शादी के लिए हां भरवाती है. और शादी? 14 साल की एलिसा विवाह के शारीरिक पक्ष से नितांत अपरिचित, लेकिन पति के लिए जैसे वही सब कुछ! उसका बचपन जैसे चूर-चूर हो जाता है क्योंकि उसे जेफ्स के निर्देशानुसार अपने पति को ‘तन, मन और आत्मा के साथ’ पूरी तरह समर्पित होना ही है. उसके पास न तो पैसा है और न बाहरी दुनिया की कोई समझ और जानकारी, सो इस यातना भरी क़ैद से कोई निज़ात भी नहीं है. प्रेम विहीन रिश्ते की सारी यातना झेलते-झेलते. हालात इतने बिगडते हैं कि उसे अपने उप्तीडक पति की शैया संगिनी बनने की बजाय खुले में ट्रक में रात बिताना अधिक सुखद लगता है.
लेकिन उन स्याह दिनों में भी उसके मन में इस उम्मीद की एक लौ झिलमिलाती रहती है कि कभी तो उसे इस यातना गृह से मुक्ति मिलेगी. और ऐसा होता भी है. अचानक एक अजनबी लामोण्ट बार्लो उसकी ज़िन्दगी में आता है. परिचय दोस्ती में बदलता है, दोस्ती रोमांस में ढलती है और यह रिश्ता उसे अंतत: अपने त्रासद अतीत और चर्च की जंजीरों से आज़ाद होने की ताकत देता है. किताब में एलिसा उस कठिन समय का मार्मिक वर्णन करती है जब वह अपने पंथ से बाहर निकल कर जेफ्स के विरुद्ध इसलिए आवाज़ बुलन्द करती है कि जो लडकियां अभी भी चर्च की जंजीरों में क़ैद हैं उन्हें भी यातनाओं से मुक्ति मिल सके.
किताब सत्य और तथ्य पर आधारित है लेकिन लेखिका का अन्दाज़े-बयां और घटनाक्रम की रोमांचक विलक्षणता इसे उपन्यास की–सी रोचकता प्रदान करते हैं. एलिसा के बचपन की स्मृतियां, जहां वह अपनी तीन माताओं के साथ रहती है, और उन तीनों औरतों की आपसी ईर्ष्याएं और शत्रुताएं! और इन्हीं के बीच से उभरता है एलिसा की अपनी मां शेरॉन स्टीड का चरित्र, जिसके लिए महाकवि निराला की पंक्ति याद आती है, “दुख ही जीवन की कथा रही”. कभी सौत के लिए उसे घर से निकाला जाता है तो कभी उसके लिए सौत को. लेकिन सारी टूट-फूट के बीच भी अपने पंथ में उसकी आस्था अडिग रहती है. हालांकि एलिसा के बडे भाई-बहनों का एक-एक कर इन आस्थाओं से मोह-भंग होता रहता है और वे परिवार से अपने रिश्ते तोडते जाते हैं. इन सबका गहरा असर एलिसा के कच्चे मन पर पडता है, और खुद शेरॉन पर भी. अंतत: शेरॉन भी परिवार के माहौल से टूट-बिखर कर फ्रेड जेसोप की तरफ झुकती है और फिर उससे शादी कर लेती है. बाद में, यही अंकल फ्रेड एलिसा की शादी उसके चचेरे भाई एलेन स्टीड से कराने का ज़िम्मेदार सिद्ध होता है.
निश्चय ही एलिसा के जीवन की यह त्रासद कथा उसके अपने परिवेश की निर्मिति है. लेकिन, उसकी यह करुण कथा परिवार, शिक्षा, आस्थाओं, धार्मिक पंथों और उनके मुखियाओं के बारे में बडे तथा महत्वपूर्ण सवाल उठाती है. आस्था लोगों को किस हद तक अंधा कर देती है, यह तब ज़ाहिर होता है जब मां एलिसा से कहती है कि अपने धर्म से लडने से तो अच्छा था कि तुम मर गई होती!
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Discussed book:
Stolen Innocence: My Story of Growing Up in a Polygamous Sect, Becoming a Teenage Bride,and Breaking Free of Warren Jeffs
By Elissa Wall and Lisa Pulitzer
Published by: William Morrow
Hardcover, 448 pages
US $ 25.95
राजस्थान पत्रिका के नगर परिशिष्ट जस्ट जयपुर में मेरे साप्ताहिक कॉलम वर्ल्ड ऑफ बुक्स के अंतर्गत 05 जून 2008 को प्रकाशित.
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