Thursday, March 27, 2008

क्यों लोकप्रिय है हैरी पॉटर

ब्रितानी लेखिका जे के रॉलिंग की हैरी पॉटर श्रंखला के उपन्यास हमारे समय का एक बडा अजूबा हैं. उनकी लोकप्रियता अतुलनीय है. सभी देशों, उम्र व स्तर के पाठकों ने उनमें गहरी दिलचस्पी ली है. यह कहते हुए मैं मार्केटिंग के कौशल के योगदान को कम करके नहीं आंक रहा. अंग्रेज़ी साहित्य की दुनिया में हैरी पॉटर श्रंखला के उपन्यासों की लोकप्रियता की तह में जाने के प्रयास भी कम नहीं हुए हैं. इसी क्रम में इधर चर्चा में है जॉन ग्रेंजर की किताब अन लॉकिंग हैरी पॉटर : फाइव कीज़ फॉर द सीरियस रीडर. शीर्षक से ही साफ है कि यहां लेखक इस श्रंखला को समझने के लिए पांच कुंजियां दे रहा है. जॉन ग्रेंजर हैरी पॉटर श्रंखला के गम्भीर अध्येता हैं और पहले भी हिडन की टू हैरी पॉटर जैसी किताब लिख तथा हू किल्ड एल्बस डम्बलडोर जैसी किताब सम्पादित कर नाम और नामा कमा चुके हैं.

अपनी वर्तमान किताब में जॉन एक प्रशंसक और विवेचक की दोहरी भूमिका में हैं. यहां उनका लक्ष्य यह स्थापित करना है कि बावज़ूद अपनी लोकप्रियता के, हैरी पॉटर श्रंखला के उपन्यास गम्भीर और चिंतनपरक विश्लेषण के हक़दार हैं. अपनी बात को पुष्ट करने के लिए जॉन जे के रॉलिंग की बौद्धिकता, साहित्यिकता और रचना निर्माण क्षमता को उभारते हैं. वे रॉलिंग की कहानी कहने की प्रविधि और उसके निहितार्थों (जिन्हें कुंजी कहा गया है) के अनेक आधारभूत पहलुओं का भी विश्लेषण करते हैं. यह सब करते हुए जॉन स्थापित करते हैं कि रॉलिंग अपने शिल्प और अपनी दृष्टि के बारे में बहुत सजग और प्रतिबद्ध हैं, और इसीलिए उनकी कथा का पूर्वानुमान करने का खतरा भी उठाया जा सकता है. इस किताब में जॉन ने यह खतरा भी उठाया है.

जॉन की यह किताब छह अध्यायों में है. पहला अध्याय रॉलिंग के सृजन की पहली कुंजी देता है : वृत्तांत की बहक. यहां जॉन बताते हैं कि अपनी प्रिय कथाकार जेन ऑस्टेन की ही तरह रॉलिंग भी अपनी कथा को अन्य पुरुष की सीमित सर्वज्ञता के नज़रिए से पेश करती हैं. पाठक उतना ही जान पाता है जितना हैरी को ज्ञात है, शेष सारे चरित्र तो वैसे भी नेपथ्य में ही रहते हैं. जैसे, जब तक हैरी का उनसे सामना नहीं होता, हम भी नहीं जानते कि एल्बस या सेवेरस क्या कर रहे हैं. यानि, हम वही देखते हैं जो हैरी देखता है, और इस तरह पाठक हैरी के सारे राग-द्वेष ओढ लेता है. यह सिलसिला कथा के अंत तक चलता रहता है. और जब हैरी खुद गलत सिद्ध होता है तो पाठक को भी एक झटका लगता है.

किताब का दूसरा अध्याय रॉलिंग के लेखन की दूसरी कुंजी कीमियागिरी की चर्चा करता है. हैरी पॉटर श्रंखला के उपन्यासों को कट्टर ईसाइयों और घोर बुद्धिजीवियों ने नकारा है. यहां लेखक यह स्थापित करता है कि वैयक्तिक रूपांतरण के मामले में रॉलिंग कितनी गहन आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि से लैस है. अपने उत्साह में जॉन रॉलिंग को शेक्सपियर और आदि क्लासिकी लेखकों की परम्परा से जोड देते हैं.

किताब का तीसरा अध्याय रॉलिंग की कथा-शैली का विवेचन करते हुए उनके फॉर्मूले की कुंजी प्रदान करता है. जॉन ग्रेंजर बताते हैं कि पॉटर श्रंखला के उपन्यासों की कथा और ब्यौरे तो अलग हैं लेकिन उनमें एक समान पैटर्न भी देखा जा सकता है, हालांकि इस पैटर्न में थोडा वैविध्य भी है. किताब के चौथे और पांचवें अध्याय यह पडताल करते हैं कि हैरी पॉटर की ये पुरानी लगने वाली कहानियां आज के पाठक को अभिभूत क्यों करती हैं! ग्रेंजर ठीक ही लिखते हैं कि रॉलिंग 21 वीं शताब्दी में लिख रही हैं तो हमें उनके लेखन में कुछ उत्तर आधुनिक तत्वों की आशा तो करनी ही चाहिए. जॉन ग्रेंजर प्रगति और तकनीक को सन्देह की नज़रों से देखने के उत्तर आधुनिक विचार को हैरी पॉटर उपन्यासों में देखते हैं और कहते हैं कि यहां भी एक ब्रिटिश जादुई समाज है जो खुद को प्रगतिशील समझता है लेकिन है उससे उलट. इसी तरह ग्रेंजर को सरकारों, शिक्षा और प्रेस की रॉलिंग की आलोचना में तथा इस विचार में कि कुछ भी वैसा नहीं होता, जैसा दिखाई देता है, उत्तर आधुनिक विखण्डन की छाया दिखाई देती है. लेकिन जॉन ग्रेंजर यह कहना नहीं भूलते कि रॉलिंग उत्तर आधुनिक होते हुए भी इसका अतिक्रमण करती रहती हैं. वे अपनी अलौकिक दुनिया के लिए ऐसे प्रतीक चुनती हैं जो स्पष्टत: ईसाई हैं. इतना ही नहीं, बकौल ग्रेंजर, रॉलिंग अपने उपन्यासों में कहीं भी चर्च की आलोचना नहीं करतीं. इस तरह इन दो अध्यायों मे जॉन ग्रेंजर दो कुंजिया देते हैं उत्तर आधुनिकता और पारम्परिक प्रतीकवाद.

किताब के आखिरी अध्याय में इन पांच कुंजियों के सहारे यह पडताल की गई है कि रॉलिंग के आगामी लेखन की दिशा क्या हो सकती है. कहना अनावश्यक है अब यह अध्याय बेमानी हो गया है.

ग्रेंजर की यह किताब एक अति लोकप्रिय कथा श्रंखला को समझने का गम्भीर सारस्वत प्रयास है. कितना अच्छा हो कि इस तरह से भारतीय भाषाओं की लोकप्रिय कृतियों का भी विवेचन हो.
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Discussed book:
Unlocking Harry Potter: Five Keys for the Serious Reader
By John Granger
Published by: Zossima Press
Paperback: 312 pages
US $ 18.99

राजस्थान पत्रिका के नगर परिशिष्ट जस्ट जयपुर में मेरे साप्ताहिक कॉलम वर्ल्ड ऑफ बुक्स के अंतर्गत 27 मार्च 2008 को प्रकाशित.







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2 comments:

रवीन्द्र प्रभात said...

आपकी जानकारी अत्यन्त महत्वपूर्ण है !

डॉ .अनुराग said...

aap yakeen nahi karenge mere pas harry porter ki movie ka collection hai aor kitni bar mai bhi apne bete ke stah dekh chuka hun....aor uski agli movie ka intzar hai...vaise bhi ham hindustani agressive marketing me kam yakeen rakhta hai aor doosre shayad technically unse kafi peeche hai kam se kam movie dept me.....