अगर शिकागो में एक भी बच्चा ऐसा है जो स्कूल नहीं जा सकता तो वह मेरे लिए महत्वपूर्ण है, भले ही वह मेरा बच्चा नहीं है. अगर कहीं कोई ऐसा वृद्ध है जो अपने इलाज़ के पैसे नहीं जुटा सकता और उसे अपने मकान किराये या इलाज़ में से एक को चुनना पडता है तो मुझे लगता है कि मैं गरीब हूं, भले ही वह वृद्ध मेरा कोई नहीं लगता. अगर कहीं कोई अरब-अमरीकी परिवार बिना कारण धर लिया जाता है और अपनी मदद के लिए वकील नहीं कर पाता तो मुझे लगता है कि मेरी नागरिक स्वाधीनता खतरे में है...
यह अंश है बराक ओबामा के एक भाषण का. ओबामा की ताज़ा किताब ड्रीम्स ऑफ माइ फादर : ए स्टोरी ऑफ रेस एण्ड इनहेरिटेंस नस्लवाद पर एक ऐसे व्यक्ति का नज़रिया पेश करती है जिसने खुद उसे तथा विविध संस्कृतियों को देखा-जिया है. किताब में हम उसकी दृष्टि को निर्मित होते देखते हैं. 1961 में एक श्वेत मां और अश्वेत केन्याई विद्यार्थी-पिता की संतान के रूप में जन्मे बराक ओबामा की यह संस्मरणात्मक कृति असामान्य तो है ही, नस्लवाद की कई परतों को भी उघाडती है. बराक ओबामा ने 1991 में हारवर्ड लॉ स्कूल से स्नातक उपाधि प्राप्त की और उसके बाद वे हारवर्ड लॉ रिव्यू के पहले अफ्रीकी अमरीकी अध्यक्ष बने. उन्होंने सामुदायिक संगठन, नागरिक अधिकार अटॉर्नी और लॉ प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दीं. 1997 में उन्होंने इलिनॉय की जनरल असेम्बली में दक्षिणी शिकागो का प्रतिनिधित्व किया और अब वे इलिनॉय से ही जूनियर सिनेटर बनने की राह पर अग्रसर हैं.
ये ओबामा जब हारवर्ड लॉ रिव्यू के अध्यक्ष बने तो उन्हें एक किताब लिखने का प्रस्ताव मिला. इस किताब के माध्यम से ओबामा ने अपने असामान्य जीवन की यात्रा के कुछ पडावों को अपने पाठकों से साझा किया है. इस काव्यात्मक किंतु भावुकता-विहीन संस्मरण पुस्तक की शुरुआत न्यूयॉर्क से होती है जहां ओबामा को पता चलता है कि उनके पिता एक कार दुर्घटना में चल बसे हैं. यह दुखद समाचार उनकी स्मृति यात्रा का प्रारम्भ करता है. सबसे पहले वे कैनसस के एक छोटे-से कस्बे में अपनी मां के परिवार के हवाई प्रव्रजन के अवशेष तलाशते हैं और फिर केन्या जाकर अपने परिवार का अफ्रीकी पक्ष ढूंढते हैं. वहीं पिता के जीवन के अप्रिय पहलू से भी उनका सामना होता है. हम जान पाते हैं कि ओबामा के पिता हवाई विश्वविद्यालय में एक एक्सचेंज स्टुडेण्ट के रूप में गए हुए थे. वहां उनकी मुलाक़ात एक सुन्दरी से हुई. उसी मुलाक़ात और निकटता की परिणति हुई ओबामा के जन्म के रूप में. ओबामा की मां का परिवार कैनसस से हवाई गया था. ओबामा जब महज़ दो साल का था तभी उसके पिता हारवर्ड चले गए, और फिर लगभग दस बरस बाद लौटे, मात्र एक माह के लिए. बाद में यह पता चला कि ओबामा के पिता की एक पत्नी और कुछ बच्चे पहले से ही अफ्रीका में थे. हारवर्ड में उन्हें तीसरी पत्नी मिली, जिससे कई बच्चे और हुए. ओबामा ने अपनी ज़िन्दगी के कई बरस इण्डोनेशिया में मां और इण्डोनेशियाई सौतेले पिता के साथ बिताए. जब उनकी मां पढाई के लिए समुद्र पार चली गई तो वे अपने नाना-नानी के साथ भी रहे.
ओबामा के पिता चुस्त और महत्वाकांक्षी थे. जीवन के प्रारम्भिक दौर में वे खासे सफल भी रहे लेकिन बाद में अपने अपरिपक्व व्यवहार की वजह से वे केन्याई तानाशाही की आंखों की किरकिरी बन गए. उन्होंने नौकरी खोई और ब्लैकलिस्ट हुए. इन आघातों ने उन्हें पियक्कड बना दिया. बाद में जब केन्या में नया निज़ाम आया तो उनके बुरे दिन खत्म हुए लेकिन तब तक परिवार टूट-बिखर चुका था.
ओबामा को ये सारी बातें बाद में ही पता चलीं. स्वाभाविक था कि उनके मन में अपने पिता की जो आदर्श और प्रेरक छवि थी, वह इन बातों से ध्वस्त हुई. इसकी एक परिणति यह भी हुई कि ओबामा ने खुद को शिकागो के एक सामुदायिक संगठन के कामों में डुबो लिया. अपनी तरह के लोगों के सुख दुख बांटने में उन्हें जीवन की सार्थकता नज़र आने लगी. तीन साल इस तरह बिताने के बाद ओबामा एक बार फिर केन्या लौटते हैं, अपने स्वर्गीय पिता की दुनिया में, अपने प्रामाणिक ‘स्व’ की खोज में. एक अश्वेत अमरीकी के रूप में वे अपने नित्यप्रति के क्रिया कलापों में अपनी पहचान पाते हैं. उन्हें पता चलता है कि केन्या में लगभग 400 जनजातियां हैं और हरेक में कुछ न कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो अन्य जन जातियों में भी हैं. ओबामा पाते हैं कि केन्या और शिकागो दोनों ही जगहों पर नस्लवाद, गरीबी और भ्रष्टाचार है. लेकिन इसी के साथ उन्हें अपने समुदाय में ऐसे लोग भी मिलते हैं जो ईमानदार और भले हैं तथा अपने लक्ष्यों के प्रति पूर्णत: समर्पित हैं.
किताब में फॉकनर को उधृत करते हुए ओबामा कहते हैं कि अतीत न तो कभी मरता है और न कभी दफ्न होता है. वह व्यतीत भी नहीं होता. अतीत इसी तरह वर्तमान का निर्माण करता है. यहां हम बहुत साफ देखते हैं कि किस तरह ओबामा के अतीत ने उसके वर्तमान को रचा है.
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Discussed book:
Dreams from My Father: A Story of Race and Inheritance
By Barack Obama
Published By: Three Rivers Press
Paperback: 480 Pages
US $ 14.95
राजस्थान पत्रिका के नगर परिशिष्ट जस्ट जयपुर में मेरे साप्ताहिक कॉलम वर्ल्ड ऑफ बुक्स के अंतर्गत 28 फरवरी 2008 को प्रकाशित.
6 comments:
आप मुझे पहचान जाएँ इसके लिए.. मैं हिमांशु का छोटा भाई! आपका ब्लॉग देखकर बहुत अच्छा लगा. पल्लव ने बताया था एकबार शायद लेकिन मेरी नज़र आज ही पड़ी. जब जयपुर आता हूँ छुट्टियों में तो पत्रिका में आपका कालम पढता हूँ हमेशा. अब आपसे बात भी हो पायेगी! और मेरे ब्लॉग से मेरी ख़बर आपको मिलती रहेगी. मैं फ़िल्म पर लिखना पसंद करता हूँ. देखियेगा. -मिहिर.
प्रिय मिहिर,
मैं बूढा हो चला हूं, लेकिन इतना भी नहीं कि मिहिर नाम के साथ किसी परिचय की ज़रूरत पडे याद ताज़ा करने को.
तुमने मेल लिखा, बहुत अच्छा लगा. अभी बनास में तुम्हें पढ रहा था.
अगर मेरी वेब पत्रिका के लिए भी कुछ भेज सको तो बहुत अच्छा रहे.
सस्नेह
दुर्गाप्रसाद
पुनश्च : तुम्हारा मेल आई डी मुझे कहीं नहीं मिला, इसलिए जवाब यहां दे रहा हूं.
आपका लिखा पढ़ते हुए तो आज भी नहीं लगता कि आप बूढे हो चले हैं! मुझे मालूम था कि आप पहचान जायेंगे. वो तो बस यूँ ही...
आपकी वेबपत्रिका भी देखी. मैं बहुत पसंद करूँगा उसके लिए लिखना. आप यह बताइए कि क्या सिनेमा आपकी पत्रिका का विषय है, या हो सकता है? वैसे सिनेमा पर मेरे लेख और टिप्पणियां आमतौर पर ख़ुद कहानी जैसी हो जाती हैं.
मेरा e-mail आईडी- miyaa_mihir@yahoo.com है.
...miHir
पुस्तक समीक्षा अच्छी लगी। ये भी बताइये कि क्या ओबामा इस पुस्तक के ज़रिये वोट मांगते हुए लगते हैं? क्या वो गोरी अमेरिकी जनता को रंगभेद से ऊपर उठ कर उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त करने और उन्हें राष्ट्रपति चुनने की अपील करते हुए नज़र आते हैं?
प्रिय अभिषेक जी,
सराहना के लिए कृतज्ञ हूं.
दर असल यह किताब वर्तमान चुनाव अभियान से थोडा पहले की है, इसलिए इसमें ओबामा को वोट मांगते हुए तलाश करना बेमानी होगा.
यह संयोग है कि मेरी यह समीक्षा ठीक उस वक़्त छपी है जब ओबामा चरचा में हैं.
aur isiliye main usake blurb main maine rashtrapati chunav ka jikra kar diya tha
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