26 अप्रेल 1998 की रात ग्वाटेमाला के प्रसिद्ध मानवाधिकार योद्धा बिशप जुआन गेरार्डी की बुरी तरह कुचली हुई और खून से सनी लाश उनके चर्च के गैराज में पाई गई. इससे ठीक चार दिन पहले ही बिशप और मानवाधिकार अन्वेषकों की उनकी टीम ने अपनी 1400 पन्नों की खोज रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में ग्वाटेमाला में ‘80 व ‘90 के दशकों में सेना और सुरक्षा बलों द्वारा चलाये गये उस नृशंस अभियान का दिल दहला देना वाला ब्यौरा पेश किया गया था, जिसके द्वारा लगभग 20 हज़ार लोगों को लापता कर दिया गया या मार डाला गया था.
अब चर्चित उपन्यासकार फ्रैंसिस्कोगोल्डमेन ने इसी घटना चक्र को आधार बनाकर लगभग 400 पन्नों की एक खोजपूर्ण, लोमहर्षक किताब लिखी है : द आर्ट ऑफ पॉलिटिकल मर्डर : हू किल्ड द बिशप? इस किताब में लेखक ने सेण्ट्रल अमरीका में जारी अमरीका समर्थित युद्ध, हिंसा और भ्रष्टाचार की परम्परा के अनेक पहलुओं को उजागर किया है. गोल्डमेन का बपतिस्मा बिशप गेरार्डी के सान सेबस्टियन चर्च में ही हुआ था और उस वक़्त ग्वाटेमाला में जन्मी उनकी मां भी उपस्थित थीं. इस निजी संलग्नता ने गोल्डमेन को प्रेरित किया कि वे सूचनाओं के खज़ाने में से, जिसमें असंख्य इण्टरव्यू, डी-क्लासिफाइड दस्तावेज़, कोर्ट के रिकॉर्डस शामिल हैं, अपने काम की सामग्री का चयन कर यह लोमहर्षक वृत्तांत लिखें. असंख्य चरित्रों और घटनाओं के घटाटोप के बीच उन्होंने जो वृत्तांत रचा है वह ऐसा है कि उसके कारण गोल्डमेन की गणना मार्केस और योसा जैसे उत्कृष्ट लातीन अमरीकी रचनाकारों के साथ की जा सकती है.
इस वृत्तांत का आरम्भ बिशप की हत्या के वीभत्स दृश्य से होता है और इसके बाद गोल्डमेन आहिस्ता-आहिस्ता हत्यारों और उनके छिपे रक्षकों को सामने लाते हैं. इस प्रक्रिया में वे एक अनैतिक छाया राष्ट्र की सन्देहास्पद किंतु ताकतवर भूमिका को उभारते चलते हैं. लेखक साहित्यिक गद्य और पत्रकारिता की यथा-तथ्य भाषा के सुखद समन्वय से एक ऐसा वृत्तांत रचता है जो अनगिनत चरित्रों और पल-पल परिवर्तित होते घटनाक्रम के कारण पाठक को बांध लेता है. लेखक इस हत्या के सन्दर्भ में बार-बार हमें याद दिलाता है कि 1954 में अमरीका समर्थित ताकतों द्वारा ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जेकोब अरबेंज़ का तख्ता पलटा गया था और उसी के बाद सेण्ट्रल अमरीका के सर्वाधिक निर्मम मिलिट्री तंत्र की स्थापना हुई थी. इसी के बाद वह लम्बा गुरिल्ला युद्ध चला जिसने 20 हज़ार निर्दोष नागरिकों की जान ली.
इसके बाद 1996 में एक शांति समझौता हुआ और ग्वाटेमाला सैद्धांतिक रूप से एक नागरिक प्रशासन वाला प्रजातंत्र बना दिया गया. लेकिन, गोल्डमेन बार-बार ज़ोर देकर कहते हैं कि इससे सत्ता की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं आया और ग्वाटेमाला उन छद्म सैन्य ताकतों का बन्धक ही बना रहा जिनका कम्युनिस्ट विरोधी अभियान एक अपराध उद्योग में तब्दील हो चुका था. लेखक के अनुसार, बिशप गेरार्डी का मानव अधिकार एक्टिविज़्म ऐसे लोगों के लिए एक बडी चुनौती था. इसीलिए, वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि बिशप की हत्या कोई आकस्मिक अपराध नहीं था बल्कि दो ताकतवर सत्ताओं मिलिट्री और चर्च के बीच की खुली टकराहट की स्वाभाविक परिणति था.
गोल्डमेन यह भी बताते हैं कि हत्यारों ने अपने कुकृत्य को छिपाने में भी असाधारण कौशल का परिचय दिया. उन्होंने गेरार्डी का चरित्र हनन करने का एक सुनियोजित अभियान चलाया और यह स्थापित करने में लगभग कामयाब रहे कि वे समलैंगिक थे और अपने एक प्रेमी की हिंसा के शिकार हुए. यह सनसनीखेज प्रवाद कुछ इस कौशल से फैलाया गया कि इसे राष्ट्रीय मीडिया ने भी अंगीकार कर लिया और प्रतिष्ठित लेखक योसा तक इस के बहकावे में आकर बिशप और चर्च की भूमिका के प्रति संशयालु हो उठे.
द आर्ट ऑफ पॉलिटिकल मर्डर गुस्से से भरी एक ऐसी चीख है जिसे न केवल सहानुभूतिपूर्वक सुना जाना चाहिए, ऐसे हर व्यक्ति तक पहुंचाया भी जाना चाहिए जो यह मानने को तैयार हो कि सत्य कभी-कभी गल्प से भी ज़्यादा विस्मित करने वाला हो सकता है. इस किताब की महत्ता और प्रासंगिकता ग्वाटेमाला में हाल के घटनाचक्र के कारण और बढ गई है. वहां राष्ट्रीय चुनावों का ताज़ा दौर राजनीतिक हत्याओं और सरकार द्वारा लगभग ध्वस्त कर दिया गया है. राष्ट्रपति पद के दो सशक्त उम्मीदवारों में से एक ओट्टो पेरेज़ मोलिना एक भूतपूर्व आर्मी जनरल और खुफिया सेवा के चीफ हैं. वे गेरार्डी की हत्या के समय पद पर थे. अपना चुनाव वे कानून व्यवस्था को मुद्दा बना कर लड रहे हैं और कह रहे हैं कि अपराध का खात्मा करने के लिए उन्हें नागरिक अधिकारों को कुचलने में भी संकोच नहीं होगा.
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Discussed book:
The Art of Political Murder
By Francisco Goldman
Grove Press.
Hardcover, 416 pages
US $ 25.00
राजस्थान पत्रिका के नगर परिशिष्ट 'जस्ट जयपुर' में मेरे साप्ताहिक कॉलम 'वर्ल्ड ऑफ बुक्स' के अंतर्गत 31 जनवरी 2008 को प्रकाशित
अब चर्चित उपन्यासकार फ्रैंसिस्कोगोल्डमेन ने इसी घटना चक्र को आधार बनाकर लगभग 400 पन्नों की एक खोजपूर्ण, लोमहर्षक किताब लिखी है : द आर्ट ऑफ पॉलिटिकल मर्डर : हू किल्ड द बिशप? इस किताब में लेखक ने सेण्ट्रल अमरीका में जारी अमरीका समर्थित युद्ध, हिंसा और भ्रष्टाचार की परम्परा के अनेक पहलुओं को उजागर किया है. गोल्डमेन का बपतिस्मा बिशप गेरार्डी के सान सेबस्टियन चर्च में ही हुआ था और उस वक़्त ग्वाटेमाला में जन्मी उनकी मां भी उपस्थित थीं. इस निजी संलग्नता ने गोल्डमेन को प्रेरित किया कि वे सूचनाओं के खज़ाने में से, जिसमें असंख्य इण्टरव्यू, डी-क्लासिफाइड दस्तावेज़, कोर्ट के रिकॉर्डस शामिल हैं, अपने काम की सामग्री का चयन कर यह लोमहर्षक वृत्तांत लिखें. असंख्य चरित्रों और घटनाओं के घटाटोप के बीच उन्होंने जो वृत्तांत रचा है वह ऐसा है कि उसके कारण गोल्डमेन की गणना मार्केस और योसा जैसे उत्कृष्ट लातीन अमरीकी रचनाकारों के साथ की जा सकती है.
इस वृत्तांत का आरम्भ बिशप की हत्या के वीभत्स दृश्य से होता है और इसके बाद गोल्डमेन आहिस्ता-आहिस्ता हत्यारों और उनके छिपे रक्षकों को सामने लाते हैं. इस प्रक्रिया में वे एक अनैतिक छाया राष्ट्र की सन्देहास्पद किंतु ताकतवर भूमिका को उभारते चलते हैं. लेखक साहित्यिक गद्य और पत्रकारिता की यथा-तथ्य भाषा के सुखद समन्वय से एक ऐसा वृत्तांत रचता है जो अनगिनत चरित्रों और पल-पल परिवर्तित होते घटनाक्रम के कारण पाठक को बांध लेता है. लेखक इस हत्या के सन्दर्भ में बार-बार हमें याद दिलाता है कि 1954 में अमरीका समर्थित ताकतों द्वारा ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जेकोब अरबेंज़ का तख्ता पलटा गया था और उसी के बाद सेण्ट्रल अमरीका के सर्वाधिक निर्मम मिलिट्री तंत्र की स्थापना हुई थी. इसी के बाद वह लम्बा गुरिल्ला युद्ध चला जिसने 20 हज़ार निर्दोष नागरिकों की जान ली.
इसके बाद 1996 में एक शांति समझौता हुआ और ग्वाटेमाला सैद्धांतिक रूप से एक नागरिक प्रशासन वाला प्रजातंत्र बना दिया गया. लेकिन, गोल्डमेन बार-बार ज़ोर देकर कहते हैं कि इससे सत्ता की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं आया और ग्वाटेमाला उन छद्म सैन्य ताकतों का बन्धक ही बना रहा जिनका कम्युनिस्ट विरोधी अभियान एक अपराध उद्योग में तब्दील हो चुका था. लेखक के अनुसार, बिशप गेरार्डी का मानव अधिकार एक्टिविज़्म ऐसे लोगों के लिए एक बडी चुनौती था. इसीलिए, वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि बिशप की हत्या कोई आकस्मिक अपराध नहीं था बल्कि दो ताकतवर सत्ताओं मिलिट्री और चर्च के बीच की खुली टकराहट की स्वाभाविक परिणति था.
गोल्डमेन यह भी बताते हैं कि हत्यारों ने अपने कुकृत्य को छिपाने में भी असाधारण कौशल का परिचय दिया. उन्होंने गेरार्डी का चरित्र हनन करने का एक सुनियोजित अभियान चलाया और यह स्थापित करने में लगभग कामयाब रहे कि वे समलैंगिक थे और अपने एक प्रेमी की हिंसा के शिकार हुए. यह सनसनीखेज प्रवाद कुछ इस कौशल से फैलाया गया कि इसे राष्ट्रीय मीडिया ने भी अंगीकार कर लिया और प्रतिष्ठित लेखक योसा तक इस के बहकावे में आकर बिशप और चर्च की भूमिका के प्रति संशयालु हो उठे.
द आर्ट ऑफ पॉलिटिकल मर्डर गुस्से से भरी एक ऐसी चीख है जिसे न केवल सहानुभूतिपूर्वक सुना जाना चाहिए, ऐसे हर व्यक्ति तक पहुंचाया भी जाना चाहिए जो यह मानने को तैयार हो कि सत्य कभी-कभी गल्प से भी ज़्यादा विस्मित करने वाला हो सकता है. इस किताब की महत्ता और प्रासंगिकता ग्वाटेमाला में हाल के घटनाचक्र के कारण और बढ गई है. वहां राष्ट्रीय चुनावों का ताज़ा दौर राजनीतिक हत्याओं और सरकार द्वारा लगभग ध्वस्त कर दिया गया है. राष्ट्रपति पद के दो सशक्त उम्मीदवारों में से एक ओट्टो पेरेज़ मोलिना एक भूतपूर्व आर्मी जनरल और खुफिया सेवा के चीफ हैं. वे गेरार्डी की हत्या के समय पद पर थे. अपना चुनाव वे कानून व्यवस्था को मुद्दा बना कर लड रहे हैं और कह रहे हैं कि अपराध का खात्मा करने के लिए उन्हें नागरिक अधिकारों को कुचलने में भी संकोच नहीं होगा.
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Discussed book:
The Art of Political Murder
By Francisco Goldman
Grove Press.
Hardcover, 416 pages
US $ 25.00
राजस्थान पत्रिका के नगर परिशिष्ट 'जस्ट जयपुर' में मेरे साप्ताहिक कॉलम 'वर्ल्ड ऑफ बुक्स' के अंतर्गत 31 जनवरी 2008 को प्रकाशित
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