tag:blogger.com,1999:blog-6071478739911409268.post5590827690454696988..comments2024-03-11T15:37:34.567+05:30Comments on जोग लिखी: कामयाबी का राज़डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवालhttp://www.blogger.com/profile/04367258649357240171noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6071478739911409268.post-52963683247226683552008-07-23T17:38:00.000+05:302008-07-23T17:38:00.000+05:30तमाम अनिश्चितताओं (रेंडमनेस) के बीच समझदारीपूर्ण न...तमाम अनिश्चितताओं (रेंडमनेस) के बीच समझदारीपूर्ण निर्णय करना और सही विकल्प चुनना ही कामयाबी का राज है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6071478739911409268.post-69559463538898988812008-07-17T18:42:00.000+05:302008-07-17T18:42:00.000+05:30रैण्डमनेस की भूमिका सर्वोपरि होती है- मगर उसके लिए...रैण्डमनेस की भूमिका सर्वोपरि होती है- मगर उसके लिए भी सिर्फ तकदीर के भरोसे उदासीन नहीं बैठा जा सकता-आपको खेल में तो पूरी लगन से शामिल होना होगा तब ही रैण्डमनेस की भूमिका आयेगी.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6071478739911409268.post-14257725021470078342008-07-17T13:13:00.000+05:302008-07-17T13:13:00.000+05:30ज़िन्दगी के खेल में भले ही कुछ खिलाडी दूसरों से बेह...ज़िन्दगी के खेल में भले ही कुछ खिलाडी दूसरों से बेहतर हों, उनकी हार-जीत में रैण्डमनेस की भूमिका सर्वोपरि होती है.<BR/><BR/>सही है........vipinkizindagihttps://www.blogger.com/profile/06698270014124048966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6071478739911409268.post-47355292936866891882008-07-17T11:40:00.000+05:302008-07-17T11:40:00.000+05:30आपने एकदम सही पकड़ा है रवि भाई.आपने एकदम सही पकड़ा है रवि भाई.डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04367258649357240171noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6071478739911409268.post-8130615115555980642008-07-17T10:52:00.000+05:302008-07-17T10:52:00.000+05:30"...याद रखें, ज़िन्दगी के खेल में भले ही कुछ खिलाडी...<B>"...याद रखें, ज़िन्दगी के खेल में भले ही कुछ खिलाडी दूसरों से बेहतर हों, उनकी हार-जीत में रैण्डमनेस की भूमिका सर्वोपरि होती है...."</B><BR/><BR/>तो इसे क्या कहें -? तकदीर ? ईश्वरेच्छा? ... और शायद तभी ईश्वर के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है... इसी रेंडमनेस को अपने फेवर में करने-करवाने हेतु...रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com